पालडीएम थाना क्षेत्र के पंचदेवल स्थित एक कृषि कुएं में दो दिन पहले गिरे श्रमिक का शव गुरुवार सुबह 9 बजे निकाला गया। इससे पूर्व करीब 50 फीट तक कुएं का पानी टूटने के बाद शव ऊपर आया और एसडीआरएफ के चार जवानों को नीचे उतारा गया, जिसके बाद क्रेन की मदद से शव बाहर निकला।
इसके बाद पोस्टमार्टम के लिए शव मोर्चरी भेजा गया, लेकिन परिजन मुआवजे की मांग पर अड़े रहे। एसडीएम भागीरथ चौधरी ने बताया कि शव को निकालने करीब पिछले 45 घंटे तक लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा था। श्रमिक मुन्ना का शव 120 फीट गहरे कुएं के तल पर था। इसके बाद उस पर करीब 4 से 5 ट्राॅली मिट्टी और 50 फीट तक पानी था।
पहले दिन जब अनुभवी ग्रामीणों को नीचे उतारा गया तो उन्होंने बताया कि पानी तोड़ना पड़ेगा। इसके बाद जब सिविल डिफेंस टीम व एसडीआरएफ के जवान नीचे उतरे तो उन्होंने बताया कि दलदल है और कम्प्रेशर मशीन मंगानी पड़ेगी। इस पर रात में ही सुमेरपुर और सिरोही के दो भामाशाहों की मदद से कम्प्रेशर मशीन मंगा काम शुरू कर दिया था, इससे मिट्टी और पानी अधिकांश अलग हो गए थे। अगले दिन रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया, लेकिन इसमें यह महत्वपूर्ण था कि जो रेस्क्यू कर रहा है उसकी जान काे काेई खतरा नहीं हाे।
ट्रांसफार्मर की पूरी बिजली लगा दी
जलदाय विभाग की एईएन अंजू चौहान ने बताया कि इन पांच पंप से कुएं से करीब 5 लाख लीटर पानी निकाला गया। 50 फीट कुएं में पानी था, जिसे पूरा तोड़ा गया। एसडीएम ने बताया कि 4 कृषि कुंओं के ट्रांसफार्मर से पूरी बिजली इन मोटर को दी गई, ताकि यह बंद नहीं हो और लगातार पानी निकलता रहे।
यह होती है इच्छा शक्ति: फेल हुए तो नए-नए विकल्प पर गए
जैसे ही श्रमिक के कुंए में गिरने की खबर मिली तो विधायक समेत कलेक्टर, एसपी और एसडीएम समेत पूरे शिवगंज ब्लॉक के अधिकारी मौके पर पहुंच गए और रेस्क्यू ऑपरेशन का प्लान शुरू किया। ग्रामीणों के साथ ही एसडीआरएफ और सिविल डिफेंस के जवानों की टीम लगातार शव को निकालने में लगी रही। जब भी रेस्क्यू ऑपरेशन फेल होता नया तरीका ढूंढ़ते और आखिर में यही हुआ टीम और अनुभवों की मदद से इस पूरे रेस्क्यू को अंजाम दिया और 45 घंटे में शव बाहर निकाला।
...और दूसरी तरफ कानपुरा का ऐसा ही मामला, बजट और तकनीकी खामियों का बहाना
ऐसा ही मामला 20 दिन पहले सुमेरपुर के निकट कानपुरा में हुआ। मूपाराम भी काम करते वक्त कुएं में जा गिरा। आज 18 दिन से ज्यादा का समय हो गया है, लेकिन वहां अब तक शव नहीं निकाल पाए। पहले बजट और बाद में तकनीकी खामियों का बहाना निकाला। फिर भी अभी तक श्रमिक का शव कुएं में ही है।
यह दो चुनौतियां थीं, लेकिन सूझबूझ से इसे पूरा किया
पहली: लगातार पानी का निकलना : कुएं से महज आधा किलोमीटर पोसालिया नदी है और उसी में 8 से 10 बोरिंग थे। ऐसे में पानी की लगातार आवक हो रही थी। यानी पानी जितना तेज गति से आ रहा था उसे उसी दोगुनी गति से तोड़ना था। इसके लिए 5 पंप लगाए जो लगातार चलते रहे।
दूसरी : कुएं के बाहर कच्ची पाळ : सबसे बड़ा डर था मिट़्टी का दोबारा धंसना, क्योंकि कुएं के बाहर कच्ची पाळ थी। यदि कोई पंप भी सीधा नीचे उतारते तो मिट्टी धंसने की संभावना थी। इसके लिए क्रेन की मदद ली और उसी की सहायता से पंप नीचे उतारा, वहीं 40 इंची के चार पाइप तैयार किए, जो दूसरी मोटर को स्पोर्ट कर रहे थे।
एसडीएम ने ऑपरेशन को लीड किया
इस पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन में विधायक, कलेक्टर और एसपी से लेकर सभी अधिकारियों ने अपनी ताकत झोंक दी, ताकि श्रमिक को समय पर बाहर निकाल सके। स्थानीय स्तर पर इसे पूरी तरह से एसडीएम भागीरथ चौधरी ने लीड किया।
ब्लॉक लेवल के अधिकारियों से सामंजस्य बैठाया। ग्रामीण व भामाशाहों की मदद से क्रेन, कम्प्रेशर मशीन, मोटर आदि मंगाई। और, इसी का नतीजा रहा कि 45 घंटे में श्रमिक का शव बाहर आ गया। इतना ही नहीं, इससे पूर्व 5 दिसंबर को छिबा गांव में एक बोरवेल में 4 साल का मासूम गिर गया था।
उस दौरान भी यह पूरा रेस्क्यू ऑपरेशन एसडीएम चौधरी ने ही लीड किया था। महज 8 घंटे में ही रेस्क्यू कर मासूम को जिंदा बाहर निकाला। उन्होंने बताया कि यह अनुभव यहां भी काम आया।
सभी जनप्रतिनिधि व अधिकारी जुटे रहे टीमवर्क की तरह
विधायक संयम लोढ़ा, आलपा सरपंच नारायण रावल, कलेक्टर भगवती प्रसाद, एसपी पूजा अवाना, एडीएम गीतेश श्रीमालवीय, प्रशिक्षु आईएएस राहुल जैन, विकास अधिकारी प्रमोद दवे, डिप्टी मदन सिंह, तहसीलदार रणछोड़ लाल, थाना अधिकारी बुद्धाराम चौधरी, पालडीएम थानाधिकारी सुजाराम, पोसालिया चौकी प्रभारी एएसआई सोमाराम, जलदाय विभाग एईएन अंजू चौधरी, जेईएन चत्तर सिंह, डिस्कॉम एईएन विजय सिंह, जेईएन राजेंद्र ङ्क्षसह, एक्सईएन गोविंद नारायण माथुर के साथ ही एसडीआरएफ के हैड कांस्टेबल फूलाराम, कांस्टेबल रामकुमार विश्नोई, नीरज चौधरी, गणेश चौधरी, सज्जन कुमार के साथ सिविल डिफेंस के गोपाल कनौजिया व मुकेश राणा इस पूरे रेस्क्यू में शामिल रहे।
शव निकालने के बाद मुआवजे की मांग पर अड़े परिजन
एसडीएम भागीरथ चौधरी ने बताया कि सरकार की ओर से नियमानुसार 3 लाख रुपए का मुआवजा देने की बात कही थी साथ ही आलपा सरपंच की ओर से भी 51 हजार रुपए के सहयोग की बात कही गई थी। हालांकि परिजन व समाज के कुछ लोगों का कहना था कि कानपुरा में मूपाराम वाले मामले में 5 लाख का मुआवजा दिया गया है, इसलिए उन्हें भी इतना ही मुआवजा दिया जाए।
इस पर विधायक व एसडीएम समेत अन्य अधिकारियों ने समझाइश की, लेकिन वे नहीं माने। इसके बाद देर शाम पुलिस की ओर से समझाइश की गई और 3 लाख रुपए के मुआवजे पर सहमति बनी। इस बीच शाम होने के कारण पोस्टमार्टम नहीं हो सका, इसलिए शुक्रवार सुबह पोस्टमार्टम कराने के बाद शव परिजनों को सौंपा जाएगा।
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