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गुरुवार, 15 अक्तूबर 2020

189 सरकारी कर्मचारी भी उठा रहे थे खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ, 23.28 लाख वसूले

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजनांतर्गत अपात्र हाेने के बावजूद गेहूं उठाने वाले सरकारी कर्मचारी से वसूली की जा रही है। खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग जयपुर एवं कलेक्टर डाॅ. जितेन्द्र कुमार सोनी के आदेशानुसार जिले के (राजकीय कर्मचारियों) के नाम खाद्य सुरक्षा योजना से नाम हटाकर भारतीय खाद्य निगम की इकॉनोमिक लागत एवं विभागीय खर्चों के आधार पर राशि 27 रुपए प्रति किलों की दर से वसूली की कार्यवाही की गई है।

उपखण्ड अधिकारी परबतसर मुकेश कुमार मूंड ने बताया कि इस सम्बन्ध में विकास अधिकारी पंचायत समिति परबतसर व राशन डीलर से राजकीय कर्मचारी जो खाद्य सुरक्षा का लाभ ले रहे है, उनकी जांच करवाई गई पश्चात विधिवत प्रक्रिया अपनाकर नोटिस जारी करते हुए उक्त अपात्र परिवार का खाद्य सुरक्षा योजना से नाम पृथक करते हुए राशि वसूली गई। उक्त योजना में राजकीय कर्मचारियों के नाम खाद्य सुरक्षा योजना से हटाया गया और राजकीय कर्मचारी के परिवार 189 जिनसे 23 लाख 38 हजार 739 राशि वसूली कर ली गई है। साथ ही शेष कार्मिक से वसूली भी जारी है।
पता था अपात्र हैं, फिर भी गरीबों का डकार रहे गेहूं
राज्य कर्मचारियों द्वारा अपना नाम खाद्य सुरक्षा के अन्तर्गत गलत रूप से जुड़वाकर अनुचित लाभ प्राप्त किया गया है। साथ ही राजकीय दायित्वों की अवहेलना भी जानबूझ कर की गई। उक्त योजना का लाभ आज दिनांक तक लेने वाले कार्मिक जिन्होंने आज तक उक्त योजना से नाम पृथक नहीं करवाया और वसूली राशि जमा नहीं करवाई, उनके के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही के लिए उनके विभाग को लिखा जाएगा। इधर, उपखण्ड अधिकारी मूंड ने बताया कि जो परिवार सक्षम और आर्थिक स्थिति अच्छी है।

अपात्र है वो व्यक्ति अपना नाम पृथक करवाने का श्रम करें ताकि किसी गरीब परिवार को लाभ मिल सकें। अपात्रता के बावजूद इस योजना से लाभान्वित होने वाले सरकारी कर्मचारियों में कलेक्ट्रेट, न्यायालय, नोटेरी पब्लिक, पुलिस, नगर परिषद, शिक्षा विभाग, पंचायतीराज, वन, पीडब्ल्यूडी, जलदाय, विद्युत, आयुर्वेद, पोस्ट ऑफिस सहित कई विभागों के कार्मिक हैं।

भास्कर व्यू : वसूली के साथ हो सकती है सजा
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ कोई भी सरकारी कर्मचारी नहीं ले सकता है। लेकिन जिले के कई उपखंड के हजारों सरकारी कर्मचारियों ने ऐसा किया जो भ्रष्टाचार है। इस मामले में एक्सपर्ट सुनील बताते है कि ऐसा करने वालों के खिलाफ प्रशासन मुकदमा दर्ज करवा सकता है और मुकदमा दर्ज कराने के बाद बकायदा कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। रिकवरी के अलावा ऐसे कर्मचारियों पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। मगर अधिकतर जगह प्रशासन केवल वसूली कर मामले को रफा दफा करने में जुटा है। कार्रवाई के नाम पर अधिकारी भी खामोश हैं।



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189 government employees were also taking advantage of food security scheme, recovered 23.28 lakhs