इस बार शारदीय नवरात्र-दशहरा पर भी कोरोनाकाल की छाया तो रही ही। नवरात्र के क्रमवार दिन के साथ तिथियों को लेकर भी भक्त थोड़े दुविधा में पड़ गए। दशमी भी दो दिन क्रमश: 25 और 26 अक्टूबर को है। ऐसे में दशहरा कब मनेगा? रावण या उसके परिवार के पुतले कब और कहां कहां दहन होंगे? दशहरा की सरकारी छुटटी किस दिन? जैसे सवाल बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक के जहन में है। ऐसे में दैनिक भास्कर ज्योतिषियों और संबंधित आयोजकों, जानकारों आदि से बात कर दुविधा को दूर कर रहा है।
इस बार नवरात्र में सप्तमी, दुर्गाअष्टमी व नवमी आदि सहित अब दशहरा को लेकर भी आमजन थोड़े गफलत में नजर आ रहे हैं। हालांकि पंडितों के अनुसार अष्टमी 23, नवमी 24 और दशहरा 25 अक्टूबर को ही मनाना था। दूसरी ओर दशमी दो दिन क्रमश 25 व 26 को होने से कई केलेंडर में दशहरा का अवकाश सोमवार 26 अक्टूबर को बता रखा है। भास्कर ने प्रशासनिक हल्के से पता किया तो वहां भी गफलत नहीं है। सरकारी कलेंडर में दशहरा 25 का ही बताया गया। इस दिन रविवार का अवकाश है ही। इसलिए सोमवार को कोई छुटटी नहीं है। वर्किंग डे रहेगा। जहां तक दशहरा उत्सव यानी रावण दहन कार्यक्रमों की बात है तो कोरोनाकाल के कारण इसकी कहीं कोई तैयारी ही नहीं हो सकी।
कोई तिथि क्षय नहीं, घडियां कम हुई, आज नवमी पूजन के शुभ मुहूर्त ये रहेंगे
पंडित अरविंद भटट के अनुसार नवरात्र में कोई तिथि क्षय नहीं हुई है। सिर्फ घडियों में कमी आई। दुर्गाष्टमी शुक्रवार 23 अक्टूबर सुबह से प्रारंभ होकर 24 अक्टूबर को सुबह 6.58 तक ही रहेगी। आप शनिवार सुबह 6.56 बजे तक भी इस तिथि की कुलदेवी पूजा कर सकते हैं। दुर्गा नवमी शनिवार 24 अकटूबर को सुबह 6.58 से आरंभ होकर अगले दिन सुबह तक रहेगी। इसलिए नवमी की पूजा शनिवार को करें। शुभ समय सुबह 8.10 से 9.34 व 11.59 से 4.34 बजे तक रहेगा। पंडित राकेश शास्त्री के अनुसार भी शुक्रवार को दुर्गाष्टमी और शनिवार को नवमी है। दुर्गा नवमी पूजन के लिए 24 अक्टूबर शनिवार को मुर्हूत सुबह 7.59 से 09.24, दोपहर 11.52 से 12.38 अभिजीत व दोपह र01.40 से 04.31 तक लाभ अमृत में श्रेष्ठ रहेगा। दोनों पंडितों के अनुसार दशहरा 25 अक्टूबर को है।
सरकार व प्रशासन की मनाही से रावण दहन के सांकेतिक कार्यक्रम भी निरस्त किए
भास्कर द्वारा चित्तौड़गढ़ नगर परिषद, निम्बाहेड़ा, कपासन, बेगूं आदि नगर पालिका से जुटाई जानकारी अनुसार इस बार कहीं भी रावण दहन का कार्यक्रम नहीं होगा। नप सभापति संदीप शर्मा के अनुसार कोरोनाकाल को देखते हुए इस बार 12 फीट का रावण, 10-10 फीट का कुंभकरण व मेगनाद के पुतले बनाकर दहन का सांकेतिक कार्यक्रम का प्लान बनाया था ताकि परंपरा नहीं टूटे। प्रशासन ने प्रदेश में कहीं भी ऐसे कार्यक्रम नहीं होने का हवाला देते हुए अनुमति नहीं दी। भीड़ आने से स्वास्थ्य हानि का खतरा रहता है।
सूर्योदय के साथ कितने पल तिथि रही, इस विधान से माना जाता है किस दिन करें पूजा
पंडित राकेश शास्त्री ने कहा कि तिथियों को लेकर उलझन इसलिए हुई क्योंकि 23 तारीख को सप्तमी उपरांत अष्टमी, 24 को अष्टमी उपरांत नवमी और 25 को नवमी उपरांत दशमी तिथि शुरू हो रही है। शास्त्र और धर्मग्रंथ में बताया गया है कि सूर्योदय के समय आश्विन शुक्ल अष्टमी हो तो उस दिन श्रीदुर्गाष्टमी व्रत पूजन करना चाहिए, लेकिन शर्त यह भी है कि अष्टमी कम से कम 1 घड़ी यानी 24 मिनट तक होनी चाहिए। दूसरे दिन अष्टमी तिथि 24 मिनट से भी कम हो। तब इस तिथि में सप्तमी युक्त अष्टमी तिथि को महाष्टमी का व्रत पूजन कर लेना चाहिए। चूंकि देश के कुछ भागों में 24 अक्टूबर को अष्टमी तिथि एक घड़ी से भी कम है।
इसलिए दशहरा 25 को मनाएंगे, क्योंकि दशमी इस दिन अपराह्न काल में है: नवमी 25 अक्टूबर को सुबह 7.42 तक ही है। इसके बाद दशमी अगले दिन सुबह तक रहेगी। इसलिए दशहरा 25 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा।
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