घट-घट में विराजीं मां दुर्गा के शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर से प्रारंभ हो जाएंगे, लेकिन इस बार दूर से दर्शन होंगे। कोरोना संक्रमण की आशंका को देखते हुए झालर-घंटे बजाने पर रोक रहेगी। इसलिए झालर-घंटों को कपड़े से बांध दिया गया है। नगाड़े नहीं बजेंगे। भोग-प्रसादी, माला-पोशाक आदि नहीं चढ़ा पाएंगे। आरती में भी शामिल नहीं हो पाएंगे।
जागरण और भंडारों पर भी रोक रहेगी। मंदिरों की आरतियों में भी श्रद्धालु शामिल नहीं हो सकेंगे। मंदिरों में प्रवेश मास्क लगाकर सोशल डिस्टेंस के साथ दर्शन कर सकेंगे। मंदिरों ने बेरिकेड्स लगाए हैं। साथ ही झील का बाडा कैला माता सहित शहर के मंदिरों में मेले नहीं भरेंगे। नवरात्रि के 9 दिन तक पूजन, हवन और पाठ इत्यादि यथावत होंगे।
ज्योतिषाचार्य राम भरोसी भारद्वाज ने बताया कि शारदीय नवरात्र का शुभारंभ 17 अक्टूबर शनिवार को चित्रा नक्षत्र में होगा। इसी दिन सूर्यदेव अपनी मित्र राशि कन्या से सुबह 7.04 बजे अपनी नीच राशि तुला में 1 माह के लिए प्रवेश करेंगे। घटस्थापना के साथ ही अग्रसेन जयंती का उत्सव भी मनाया जाएगा।
इस बार घोड़े पर सवार होकर माता रानी भक्तों के घरों में विराजमान होंगी। नवरात्रि के 9 दिनों में हर दिन शुभ और दुर्लभ योग हैं। दुर्लभ योग खरीदारी और सभी शुभ कार्यों के लिए फलदाई रहेंगे। इधर, अधिकमास शुक्रवार को अमावस्या के साथ समाप्त हो गया।
अधिक मास का पहला और आखिरी दिन शुक्रवार होना फलदायी है। शुक्रवार को घराें में अधिक मास संपन्न होने पर लौंद भगाई रस्म निभाई गई। इस मौके पर पूजा-अर्चना हुई और देहरी पूजन कर बच्चों को मिठाई, फल, पुए एवं अन्य खाद्य सामग्री भेंट की। इस बार नवरात्र में नवमी तक किसी भी तिथि का क्षय नहीं है।
आगमन घोड़े पर, विदाई हाथी पर
माता रानी घोड़े पर सवार होकर आएंगी और विदाई हाथी की सवारी से होगी। ज्योतिषाचार्य राम भरोसी भारद्वाज ने बताया कि देवी भागवत पुराण में उल्लेख है कि शशि सूर्य गजरुढा शनिभौमै तुरंगमे, गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता, यानी सप्ताह के सातों दिनों के अनुसार देवी के आगमन का अलग-अलग वाहन बताया गया है।
अगर नवरात्र का आरंभ सोमवार या रविवार को हो तो इसका मतलब है कि माता हाथी पर आएंगी। शनिवार और मंगलवार को कलश स्थापना हो तब माता अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आती हैं। गुरुवार या शुक्रवार को नवरात्र का आरंभ हो रहा हो तब माता डोली पर आती हैं।
घट स्थापना
सर्वार्थ सिद्घि योग सुबह 11.50 से दोपहर 2.50 तक है, लेकिन समय सुबह 8.30 से 10 बजे तक भी कलश स्थापना की जा सकती है।
चौघडिय़ा मुहूर्त :
शुभ - सुबह 7:56 से 9:22 तक
चर - दोपहर 12:12 से 1:37 तक
लाभ - दोपहर 1:38 से 3:04 तक
अमृत - दोपहर 3:05 से शाम 4:28 तक
अभिजीत मुहूर्त - दोपहर 11:49 से 12:35 तक
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