11 साल पहले शहर के बीचोंबीच स्थित राजराजेश्वर मंदिर का विवाद अब एक बार फिर गर्माता नजर अा रहा है। बीते दिनाें मंदिरों काे लेकर कुशलबाग पैलेस के मालिकों के खिलाफ की गई शिकायतों पर प्रशासन ने तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन कर दिया है।
लेकिन जांच शुरू हाेने से पहले ही पैलेस मालिकों की अाेर से प्रशासन काे लिखित में अपना पक्ष पेश कर दिया है। जिसमें पक्ष की अाेर से महज बदनाम करने की काेशिश ही बताया है। विनाेद अग्रवाल की अाेर से प्रशासन काे भेजे गए जवाब में बताया गया कि उनकी जमीन तत्कालीन राजपरिवार से नियमानुसार खरीदी गई है।
कुछ राजनीतिक कारणों से राज परिवार काे कुछ लाेगाें द्वारा बदनाम किया जा रहा है। तहसीलदार काे भेजे पत्र में बताया कि 1940 में जाे सैटलमेंट हुअा था, उसमें सार्वजनिक मंदिरों अाैर रास्तों की लिस्ट में हमारा काेई भी खसरा 1164 से 1185 तक नहीं अाता है। राज्य सरकार द्वारा 1955 में मंदिरों की व्यवस्था राज परिवार काे सुपुर्द की गई थी। 1975 की तहसीलदार की रिपोर्ट में खसरा 1164 से 1185 काे आबादी में माना है।
परकाेटे के भीतर की भूमि नहीं हाे सकती सार्वजनिक : पक्ष का कहना है कि खसरा 1164 के परकोटे में स्थित जमीन सार्वजनिक नहीं हाे सकती। काेर्ट द्वारा भी निजी संपत्ति मानते हुए भू स्वामियों की निजता में खलल डालने वाले असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश कलेक्टर काे दिए हैं। विश्वंभर अग्रवाल ने बताया कि शिकायतकर्ताओं द्वारा गिरोह बनाए गए हैं। जिनमें एक गिरोह संपत्तियों काे विवादित करवाता है ताे दूसरा गिरोह विवादित संपत्तियों काे काेड़ियाें के भाव खरीदकर माेटा मुनाफा कमा रहे हैं। इसी गिरोह के कुछ लाेगाें ने उनकी जमीनों पर भी कब्जा कर रखा है।
> अग्रवाल परिवार की 1 हजार वर्गफीट जमीन पर कब्जा कर रखा है।
> 8000 वर्ग फीट जमीन पर कब्जा कर रास्ता राेककर मंदिर अाैर व्यायामशाला बनाई गई है।
> 5 बीघा जमीन काे विवादित बनाकर रखा हुअा है।
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