(डीडी वैष्णव) कांग्रेस ने निगम उत्तर से महापौर उम्मीदवार के लिए कुंती परिहार (देवड़ा) के नाम पर माेहर ताे लगा दी, लेकिन यह इतना आसान नहीं था। इसके लिए पार्टी और सीएमओ ने प्रभारी मंत्री महेंद्र चौधरी और लोकसभा प्रत्याशी रहे वैभव गहलोत काे जोधपुर भेजा था। वे दो दिन से नागौर रोड स्थित एक होटल में पार्षदों से राय ले रहे थे। दोनों ने अलग-अलग राय जानी।
ये सिलसिला बुधवार देर रात तक जारी रहा। कांग्रेस के 37 पार्षदों ने कुंती के नाम पर सहमति व्यक्त की। दोनों ही जयपुर में सीएम को इस बारे में अवगत कराया। इधर, सीएमओ ने चार नेताओं से उनकी राय जानी। दो नेताओं ने सीधे कुंती के नाम पर सहमति जताई। इसके बाद सीएम अशोक गहलोत ने नाम पर मोहर लगा दी। दोपहर 12 बजे सीएमओ से पर्यवेक्षकों को अवगत करवा दिया गया।
इसके बाद पूर्व जेडीए चेयरमैन राजेंद्रसिंह सोलंकी ने कुंती को नामांकन भरने के लिए कहा। दो-तीन और वरिष्ठ पार्षदों ने भी फाॅर्म भरने को कहा, लेकिन एक बारगी ताे उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ। उन्होंने पार्टी के दो नेताओं को बताया कि उनके पास अभी सिंबल नहीं है, बिना आलाकमान के कहे कैसे फाॅर्म भरे।
इसी बीच सीएमओ से सीधे उनके पास फोन आया और नामांकन भरने के लिए कहा गया। उन्होंने पहले से नामांकन तैयार करवा रखा था। वे परिवार और कांग्रेस नेताओं के साथ नामांकन भरने पुराने निगम भवन पहुंचीं। फाॅर्म भर दिया, लेकिन सिंबल नहीं था। बाद में चौधरी ने आरओ के पास सिंबल पहुंचाया।
अंसारी करते रहे फाेन का इंतजार
पूर्व जिलाध्यक्ष सईद अंसारी को उम्मीद थी कि महापौर प्रत्याशी के नामांकन के लिए उनके पास फाेन आएगा। वे बेटी मेहराज अंसारी के लिए टिकट मांग रहे थे। दोपहर डेढ़ बजे तक उनके पास कॉल या मैसेज नहीं आया तो पार्षदों के खेमे से रवाना हो गए।
कुंती के पिता मानसिंह ने 1998 में गहलोत के लिए
कुंती देवड़ा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे मानसिंह देवड़ा की बेटी हैं। 1998 में जब गहलोत पहली बार सीएम बने थे तब विधायक नहीं थे। ऐसे में कुंती के पिता ने सरदारपुर सीट खाली की थी।
(राजेश त्रिवेदी) भाजपा ने बुधवार को दिनभर चले मंथन के बाद गुरुवार अलसुबह चार बजे दक्षिण निगम में वनिता सेठ को महापौर प्रत्याशी घोषित कर दिया। इस चर्चा में कोर कमेटी के पांचों सदस्य सेठ की संगठन में सीनियरिटी व सक्रियता को नहीं नकार पाए। इंद्रा राजपुरोहित के महापौर प्रत्याशी की दौड़ में पिछड़ने का भी यहीं बड़ा कारण रहा। साथ ही प्रदेश में कांग्रेस सरकार होने से मुख्यमंत्री के गृहक्षेत्र में महापौर का चेहरा दबंग हो, इस लिहाज से भी सेठ को उपयुक्त माना गया।
सेठ भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश उपाध्यक्ष, प्रदेशाध्यक्ष और महामंत्री भी रह चुकी हैं। वे अभी कॉनकोर की डायरेक्टर भी हैं। इन सभी अनुभव को देखते हुए आलाकमान ने केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत की सहमति के बाद यह फैसला लिया। संगठन में इस बात की चर्चा भी है कि इंद्रा राजपुरोहित के पूर्व महापौर घनश्याम ओझा के नजदीक होने और उनके झुकाव को देखकर अन्य नेता पीछे हट गए।
वसुंधरा के सीएम रहते परमानी ने मांग लिया था इस्तीफा
जब भाजपा में झंड़ा उठाने के लिए महिला नहीं मिलती थी, उस समय सेठ ने भाजपा का झंड़ा थामा था। सूरसागर विधायक सूर्यकांता व्यास की किसी समय नजदीक रहीं सेठ वर्ष 2014 में महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष बनीं, तब प्रदेश में वसुंधरा सरकार थीं और अशोक परनामी प्रदेशाध्यक्ष थे। 2015 में सेठ प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक के लिए जयपुर जा रही थीं, रास्ते में परनामी ने उनसे इस्तीफा मांग लिया। तभी से राजे व सेठ के बीच दूरियां हो गईं।
सेठ का नाम पहले से तय था, इसलिए सुरक्षित वार्ड दिया
सरदारपुरा फस्ट ए रोड निवासी सेठ को महापौर बनाने की रणनीति पहले से तय थी। पूर्व महापौर घनश्याम ओझा ने संगठन से पूजा राठी का टिकट यह कहते हुए मांगा था, कि वे ही चुनाव लड़ेंगे, तब यह मांग वार्ड 16 से की गई थी, लेकिन सेठ को सुरक्षित वार्ड देने के लिए पूजा राठी को वार्ड 52 से टिकट देने का फैसला लिया गया।
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