जयपुर.आशा सहयोगिनियों के लघु संगठन की ओर से विभिन्न मांगों को लेकर दिया जा रहा धरना गुरुवार को समाप्त हो गया। महिला बाल विकास विभाग और चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने ग्राम स्तर पर कार्यरत आशा सहयोगिनियों की अधिकांश मांगों पर सहमति व्यक्त की है। इस सहमति के बाद 7 जनवरी को 90 फीसदी से अधिक आशा सहयोगिनी अपने कार्य पर लौट गई है। जिन मांगों को लेकर संगठन और सरकार के बीच सहमति बनी है उनमें प्रमुख है—
1. आई.सी.डी.एस. एवं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के द्वारा इनका सरल जॉब चार्ट व कार्य विभाजन तय किया जाएगा, जिसमें आंगनबाड़ी मानदेयकर्मी- आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका तथा आशा सहयोगिनी के मध्य कार्य विभाजन व दायित्व सरल रूप में निर्धारित किया जाएगा, ताकि आंगनबाड़ी केन्द्रों पर उनकी दैनिक उपस्थिति आवश्यक न रह जाए।
2. आशा फैसिलिटेटर के अन्तर्गत आशा सहयोगिनी से चयन हेतु स्पष्ट प्रक्रिया शीघ्र जारी की जाएगी।
3. ए.एन.एम. प्रशिक्षण हेतु आशा सहयोगिनी का कोटा विस्तार करने हेतु कार्यवाही की जाएगी।
4.आशा सहयोगिनियों की मानदेय वृद्धि सम्बन्धी वित्तीय मांगें राज्य सरकार से सम्बन्धित है, जिन पर विचार करने के लिए प्रकरण पत्रावली पर राज्य सरकार को प्रेषित कर दिया गया है।
5.आशा सहयोगिनी को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त होने वाले इंसेंटिव में तर्कसंगत वृद्धि के लिए भारत सरकार को पत्र प्रेषित किया जाएगा।
6. आशा सहयोगिनी को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से मोबाइल डाटा के लिए प्रावधान किये जाने के लिए भारत सरकार को प्रस्ताव प्रेषित किया जाएगा।
इसके अतिरिक्त कोविड़-19 महामारी के दौरान आषाओं द्वारा किये गये सर्वें एवं एक्टिव सर्विलियंस कार्य के लिए माह मार्च 2020 से जून 2020 तक, प्रतिमाह राषि रूपये 1000/- भी दिया गया है। सहमति के अनुरूप महिला एवं बाल विकास विभाग तथा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा कार्यवाही की जा चुकी है। आशा सहयोगिनी को चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से प्राप्त होने वाले इंसेंटिव में तर्कसंगत वृद्धि के लिए माननीय मुख्यमंत्री महोदय द्वारा भारत सरकार को पत्र प्रेषित किया जा चुका है।
वर्तमान में इन मानदेयकर्मियों को समेकित बाल विकास सेवाएं की ओर से 2700 रूपये प्रतिमाह की दर से मानदेय दिया जा रहा है। इसके अतिरिक्त चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग से स्वास्थ्य सेवाओं के अन्तर्गत इन्सेन्टिव प्रदान किया जाता है। जो उनके कार्य के अनुसार सामान्यतः 3000 रूपये से अधिक हो सकता है। यह प्रोत्साहन राशि आशा सहयोगिनी के कार्य निष्पादन के अनुसार इससे कम या अधिक हो सकती है। जिसमें केन्द्रांश 60 प्रतिशत तथा राज्यांश 40 प्रतिशत है। संपूर्ण भारत में केवल राजस्थान राज्य ही है, जहां आशा सहयोगिनियों को महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से उनके इन्सेंटिव के अतिरिक्त पृथक से फिक्स मानदेय राशि दी जा रही है।