
-तेज हवा के कारण विकराल रूप धारण कर रही आग
-वन विभाग के प्रयास हो रहे नाकाफी
वन्यजीवों पर अस्तित्व को लेकर खतरा
प्रतापगढ़. जिले के जंगल में इन दिनों कई इलाकों में आग लगी हुई देखी जा सकती है। इन दिनों वैसे गर्मी की दस्तक के कारण छोटी सी चिंगारी भी आग का विकराल रूप धारण कर लेती है। लेकिन महुआ और तेंदूपत्ता की आस में आग लगाई जाती रही है। ऐसे में वन विभाग की ओर से इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। जंगल में आग पर नियंत्रण के लिए वन सुरक्षा समितियों के साथ जागरुकता लाई जा रही है। लेकिन इस आग में कई प्रकार के वन्यजीव और पेड़-पौधे जलकर राख हो जाते है। ऐसे में इनके अस्तित्व पर भी खतरा मंडरा रहा है।
जंगल में गत कई वर्षों से गर्मी के मौसम में आग लगने की घटनाएं होती रही है। ऐेसे में आग में पेड़-पौधे और कई प्रकार के जीव-जंतु भी जलर राख हो रहे हैं। आग बुझाने के लिए वन विभाग भी तैनात है, लेकिन प्रयास नाकाफी साबित होते है। ऐसे जंगलों में कई प्रजातियों पर अस्तित्व को लेकर खतरा मंडराया हुआ है। वन विभाग और वन सुरक्षा समितियों के माध्यम से आग पर काबू पाने के लिए हर वर्ष प्रयास किए जाते है। इसके साथ ही जहां भी आग लगती है, विभागीय कर्मचारी और सदस्य भी पहुंचते है। लेकिन संसाधनों के अभाव में कई बार आग विकराल रूप धारण कर लेती है। जिससे काफी नुकसान हो जाता है। ेऐसे में वन विभाग को आग की समस्या का समाधान करना आवश्यक है।
इन कारणों से लगती है आग
जंगल में आग लगने के कई कारण होते है। लेकिन मुख्य कारण भी सामने आए है। जिनमें स्थानीय कुरीति के अनुसार लोगों की देवीय मान्यता पूरी होने पर मंगरा को चुनरी ओढाने की परम्परा है। जिसमें पहाड़ी पर आग लगाई जताी है। ऐसे में इस कुरीति को खत्म करने का प्रयास आवश्यक है। असावधानी के कारण बीड़ी और सिगरेट को जलता हुआ फेंकना, महुआ फुल एकत्रीकरण के लिए पत्तों को जलाने से, लोगों की मान्यता अनुसार घास उत्पादन बढ़ाने के लिए जंगल जलाया जाता है। वहीं तेंदुपत्ता के पेड़ों से फुटान अधिक होने की गलत धारणा भी बनी हुई है। वहीं अतिक्रमण के उद्देश्य से भी आग लगाई जाती है। ऐसे में जंगल में निवासरत लोगों को आग नहीं लगने को लेकर सावधानी बरतनी होगी।
सीतामाता अभ्यारण्य में कई दिनों तक निकलता है धुआं
करते है समझाइश और जागरुक
जंगल में गर्मी में आग लगने के कई कारण होते है। ऐसे में कर्मचारी तत्पर रहते है। जानकारी मिलने पर ग्रामीणों के सहयोग से आग पर काबू पाया जाता है। कई कुरीतियां और अंध विश्वास भी है। जिस कारण से जंगल में आग लगाई जाती है। इसे लेकर समझाइश की जाती है, ग्रामीणों को जागरुक भी किया जाता है।
सुनीलकुमारसिंह, सहायक वन संरक्षक, सीतामाता अभयारण्य
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बचाना होगा जंगल, होनी चाहिए कार्रवाई
जंगल में आग लगने से जीव-जंतु और औषधीय पौधे खत्म हो जाते है। ऐसे में विभाग और पर्यावरणविदें को साथ मिलकर प्रयास करने होंगे। लोगों में जागरुकता आवश्यक है। वहीं कई इलाकों में तेंदुपत्तों के अधिक फुटान की धारणा को लेकर भी आग लगाई जाती है। इस पर भी रोक लगानी आवश्यक है। महुए के फुल के लिए भी आग लगाई जाती है। इसे पर भी बंद कराना होगा।
लक्ष्मणसिंह चिकलाड़, पूर्व मानद वन्यजीव प्रतिपालक, प्रतापगढ़
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