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शुक्रवार, 16 अप्रैल 2021

Navratri 2021 Day 4 Maa Kushmanda Puja सूर्य समान दैदीप्यमान हैं देवी कूष्मांडा, यश—बल की करती हैं वृद्धि, ऐसे प्राप्त करें कृपा

जयपुर. 16 अप्रैल 2021 यानि शुक्रवार को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। चैत्र नवरात्रि का भी यह चौथा दिन है जिसमें मां दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है। माता कूष्मांडा सूर्यमंडल में निवास करती हैं और सूर्य के समान ही दैदीप्यमान भी हैं। मान्यता है कि देवी कूष्मांडा ने ही स्मित मुस्कान के साथ ब्रह्मांड की रचना की थी।

ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि माता कूष्मांडा आदिशक्ति हैं। माता की आठ भुजाएं हैं जिसके कारण उन्हें अष्टभुजा देवी भी कहा जाता है। इनके हाथों में कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, कमंडल, धनुष, बाण, चक्र और गदा है। मां के आठवें हाथ में सभी निधियों और सिद्धियों को देने वाली जपमाला है।

ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार कूष्माण्डा माता का वाहन सिंह है। सूर्यमंडल के भीतर के लोक में इनका निवास है। कूष्माण्डा माता की सच्चे मन से आराधना करने पर दुख दूर हो जाते हैं, रोग खत्म हो जाते हैं। इनकी पूजा में बैठने के लिए हरे रंग के आसन का प्रयोग करना अच्छा रहेगा। कलश की पूजा कर मां के स्वरूप का ध्यान करें।

इसके बाद मां कूष्मांडा को जल पुष्प अर्पित करें। देवी को धूप—दीप दिखाकर फूल, फल, सूखे मेवे के साथ यथासंभव सफेद कुम्हड़ा भी चढ़ाएं। मां कूष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं। माता के समक्ष अपनी मनोकामना करें। मां कूष्माण्डा बहुत जल्दी प्रसन्न होने वाली हैं। इनकी भक्ति से आयु—आरोग्य तथा यश—बल की वृद्धि होती है।

श्लोक मंत्र
1.
सुरासंपूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे ॥

2.
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

हिंदी भावार्थ : हे मां! सर्वत्र उपस्थित और कूष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध मां अम्बे, मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूं— या — आपको मेरा बारंबार प्रणाम है।



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