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सावन महीने के बीत जाने के बाद भी मेह बाबा जैसलमेर पर प्रसन्न नहीं हुए। पूरे महीने जिले के सभी मंदिरों में शंकर भगवान की विशेष पूजा अर्चना की गई और अभिषेक के कार्यक्रम भी हुए लेकिन बीते सावन के पूरे महीने में एक बार भी भोलेनाथ ने प्रसन्न होकर बारिश का आशीर्वाद नहीं दिया। जैसलमेर में बारिश नहीं होने से लोगों को निराश होना पड़ा है। हालांकि जैसलमेर जिले में बारिश का वार्षिक औसत 165 एमएम के आंकड़े को पार कर लिया है। शुरुआती बारिश से पशु पक्षियों के लिए चारे पानी का इंतजाम होने के साथ जैसलमेर पोकरण क्षेत्र के तालाब भी लबालब हो गए हैं। दरअसल केवल जैसलमेर पोकरण आदि में ही बारिश हुई है। रामगढ़, सम, फतेहगढ़ में ज़्यादातर इलाके अब तक बारिश से महरूम हैं। और सावन का महीना तो पूरा सुखा ही बीता।
जैसलमेर में मानसून के पहले चरण में जिले भर में औसत से अच्छी बरसात हो जाने से किसानों व पशुपालकों के चेहरों पर रौनक नजर आई थी। उनकी वह खुशी पिछले एक महीने के दौरान बारिश नहीं होने से काफूर होती दिख रही है। सावन महीना सूखा बीतने के बाद अब सबकी उम्मीदें इस भादवा के महीने से जुड़ गई हैं। वैसे देखा जाए तो इस पश्चिमी जिले में बीते वर्षों के दौरान कई बार अच्छी बरसात अगस्त और सितंबर के महीनों में ही होती रही है। अब सबको उम्मीद इसी महीने से है अन्यथा किसानों की फसलें चौपट हो रही हैं।
किसानों को पिछली बार टिड्डी दल दुख दे गया। उससे उबरे ही नहीं की सूखे की आहट ने उनके माथे पर एक बार फिर से चिंता की लकीरें उभार दी हैं। किसानों ने बारानी खेती में गवार ,बाजरा, मूंग, मोठ, तिल आदि की बुवाई कर रखी है। बारिश के अभाव में सबसे अधिक नुकसान मूंग की फसल को होगा।
इस एक हफ्ते में बारिश नहीं हुई तो किसानों की अच्छे जमाने की उम्मीदों पर पानी फिर जाएगा। आषाढ़ में अच्छी बरसात होने से किसानों ने खेतों में बुवाई की थी। खेतों में उगी फसल को इस समय पानी की जरूरत है, पर क्षेत्र में अब तक अच्छी बारिश नहीं हुई है। अब फसलें जलने के कगार पर है।
ईश्वर से प्रार्थना करता किसान
ईश्वर से प्रार्थना करता किसान
60 प्रतिशत खड़ी फसलें सिंचाई के अभाव में हो रही नष्ट
जिले में प्री मानसून की हुई अच्छी बरसात के बाद पूरे सावन में बारिश का सूखा रहने से जैसलमेर में बोई गई खरीफ की फसलें जलने को कगार पर पहुंच गई हैं। जिले में मानसून प्रवेश के साथ ही अच्छी बारिश होने से किसान सावन में बारिश की उम्मीद लगाते हैं। किसानों ने करीब 5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों की बुवाई कर दी थी, लेकिन मानसून के मंद पड़ जाने से जिले के किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें उभर आई हैं क्योंकि बारिश के अभाव में किसानों की 60% खड़ी फसलें सिंचाई के अभाव में नष्ट हो रही हैं। जैसलमेर में हालांकि शुरुआती बारिश का दौर जोरदार चला था लेकिन बाद में एकदम से ब्रेक लग गए।
जिले के कृषि विभाग की मानें तो यहां 7 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फसलों की बुआई होती है। परंतु इस बार कोरोना और नहर में क्लोजर रहने से इस बार 5 लाख हेक्टेयर में ही फसलों की बुआई हो पाई है, लेकिन सम, रामगढ़ फतेहगढ़ आदि क्षेत्रों में अब तक कायदे की वर्षा नहीं होने से और जैसलमेर, पोकरण नोख तहसील में शुरुआती बारिश के बाद मानसून सुस्त पड़ने से फसलें जलनी शुरू हो गई हैं। करीब 2 लाख हेक्टेयर में फसलें नष्ट हो रही हैं।