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मंगलवार, 26 मई 2020

भावों के पैंदे में प्याज, पिछले साल 100 रुपए में बिका अब 4 रुपए में भी खरीदार नहीं

भावों के पैंदे में प्याज, पिछले साल 100 रुपए में बिका अब 4 रुपए में भी खरीदार नहीं
प्याज की नई फसल आ गई है लेकिन लॉकडाउन की वजह से किसानों को भाव नहीं मिल रहे। प्याज के वर्तमान भाव से बुवाई की लागत भी नहीं निकल रही। ऐसे में कुछ किसान औने पौने दामों में प्याज को बेचने को मजबूर हो रहे हैं तो कुछ स्टोर करने में लगे हुए हैं। बापिणी के प्याज उत्पादक किसान किस्तुरराम बताते हैं कि कुछ समय पहले 20 रुपये में बाजार में प्याज बिक रहा था लेकिन कोरोना से आज 4 रुपये में लेने वाला कोई नहीं है।
मंडियों में डिमांड नहीं होने के कारण किसान ट्रैक्टरों में भरकर आसपास के गांवों में बेच रहे हैं। वहां भी आठ से दस रुपए प्रति किलो में खरीदार नहीं है। जबकि इतनी लागत प्याज की फसल लेने में ही आ जाती है। गत वर्ष प्याज निकलते समय के भाव 6-8 रुपये किलो थे लेकिन अक्टूबर तक दामों में भारी उछाल आया और 100 रुपये से पार पहुंच गया।
इससे उत्साहित होकर किसानों ने जिले के बड़े क्षेत्र में प्याज की बुवाई की। अब भाव 4-5 रुपये किलो पर आ गए हैं। ऐसे में किसानों के सामने आर्थिक संकट पैदा कर दिया है। बिजली बिल भी नहीं भर पा रहे। खरीफ की बुवाई की तैयारियां प्रभावित हो रही है।
कोरोना की चेन जुड़ते ही वितरण की चेन टूटी: दूसरे राज्यों से ऑर्डर नहीं मिल रहे
कोविड-19 महामारी के कारण लॉकडाउन घोषित होने से पहले 20 रुपये से ऊपर बिकने वाला प्याज लॉकडाउन घोषित होने व स्थानीय प्याज की आवक शुरू होते ही भाव गिरकर 5 रुपये किलो तक आ गया। इसके पीछे वितरण चेन टूटने से यहां के प्याज की पंजाब, हिमाचल, उत्तरप्रदेश व पश्चिम बंगाल से आने वाली मांग पर होने वाली आपूर्ति पूरी तरह से रुक गई है।
देश के पर्यटन स्थल बंद है। ऐसे में वहां की होटलों में होने वाली प्याज की खपत खत्म हो गई। वहीं बांग्लादेश सहित विभिन्न देशों में निर्यात ऑर्डर भी रद्द हो गए हैं। स्थानीय स्तर पर भी विपणन पूरी तरह से प्रभावित है। लंबे समय तक प्याज को स्टोरेज नहीं कर पाने की वजह से बिकवाली से भावों में भारी गिरावट आ गई।
अगले महीने भाव बढ़ने की उम्मीद: घाटा कम करने के लिए स्टोरेज करने में जुटे किसान
जोधपुर की भदवासिया मंडी के ब्रोकर हीरालाल सांखला ने बताया कि मंडी में प्याज गुणवत्ता के अनुसार 4 से 6 रुपए प्रति किलो की दर से बिक रहा है।15 जून तक आवक बढ़ेगी। जबकि किसानों के अनुसार प्याज के कोई खरीदार नही है। थोड़ी बहुत खरीद हो रही है तो भाव इतने कम है कि लागत निकालना मुश्किल है।
गत वर्ष प्याज की फसल 80 से ₹100 प्रति किलो तक बिकी थी हांलाकि यह भाव भी तब मिले जब सीजन निकल गई उस समय तक चुनिंदा किसानों के पास ही प्याज स्टोर रहा था।
3 हजार हेक्टेयर रकबा बढ़ा
जोधपुर जिले में प्याज की खेती
वर्ष हेक्टेयर उत्पादन
2017-18 26000 580000
2018-19 22000 225000
2019-20 25000 500000
भंडारण पर सरकार 50 प्रतिशत अनुदान दे रही लेकिन 50 प्रतिशत राशि नहीं जुटा पाते किसान
राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत प्याज भंडारण के लिए किसानों को 50% अनुदान दिया जाता है। कृषि विभाग के अनुसार भंडारण में 1 लाख 70 हजार की लागत आती है। इसमें आधा सरकार दे रही है। जिले में लगभग 25 हजार किसान प्याज की खेती करते हैं। अधिकांश किसानों को योजना की जानकारी नहीं तो कइयों के पास 50 प्रतिशत रुपए नहीं होते। ऐसे में उन्हें औने पौने दाम पर प्याज बेचने पड़ रहे।
एक एकड़ में 3 किलो बीज: फसल तैयार होने तक 50 हजार खर्च करने पड़ते हैं एकड़ में
एक एकड़ में प्याज की खेती पर 3 किलो ग्राम बीज लगता है इसकी कीमत ₹3000 होती है। जिसकी पौध 9 हजार रुपए में पड़ती है। इसके अलावा खाद और खरपतवार कीट नियंत्रण, जुताई बिजली का बिल, पौध रोपाई, प्याज कटाई का खर्च अलग है। इस बार एक एकड़ में औसत उत्पादन 80 क्विंटल से ज्यादा नहीं होगा।
जबकि इन पर 50 हजार से भी ज्यादा खर्च करना पड़ता है। इस समय प्याज के भाव 4 से 6 रुपये प्रति किलो ही है यानी प्रति एकड़ किसान को 32 से 48 हजार रुपए मिल रहे हैं। इसमें से भी बारदान व ढुलाई का भी पैसा किसान ही दे रहा है किसानों के अनुसार इन भावों में उन्हें प्रति एकड़ हजारों का नुकसान हो रहा है।