पादरू : क्षेत्र में लोगों को बेहतर चिकित्सा सुविधाओं से महरूम रहना पड़ रहा है। दर्जनों गांवों के लोगों की स्वास्थ्य सेवा महज एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के भरोसे हैं, लेकिन सरकार की ओर से चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
पादरू के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में क्रमोन्नत करने की मांग लंबे समय से की जा रही है। पीएचसी के क्रमोन्नत नहीं होने से लोगों को उपचार के लिए 30 से 50 किलोमीटर का सफर तय कर बालोतरा, सिवाना व सायला पहुंचना पड़ता है।
दूर दराज के चिकित्सा केंद्रों पर पहुंचने के लिए लोगों को साधन भी नहीं मिल पाते हैं। वहीं खस्ताहाल सड़कों पर सफर करने में भी दिक्कतें झेलनी पड़ती है। उपचार में देरी कई बार जानलेवा साबित होती है। कई वर्षों की मांग के बावजूद पीएचसी को क्रमोन्नत नहीं करने से लोगों को परेशानी हाे रही है।
दर्जनों गांव एक पीएचसी के भरोसे | यहां सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नहीं होने से दर्जनों गांवों के लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। पादरू पीएचसी से मिठौड़ा, धारणा, कुण्डल, कांखी, पऊ, इटवाया ग्राम पंचायतों समेत दर्जनों राजस्व गांव जुड़े हुए हैं। ऐसे में इन गांवों की हजारों की आबादी चिकित्सा सुविधाओं से महरूम है।
^दर्जनों गांव पादरू से जुड़े हुए हैं। यहां पीएचसी क्रमोन्नत नहीं करने से लोगों को बेहतर उपचार नहीं मिल पाता है। सरकार को जनहित में चिकित्सालय को क्रमोन्नत करना चाहिए।
- रामनारायण एस. जाणी,ग्रामीण, पादरू
90 के दशक में बना था, आज भी वैसा ही
दरअसल, सिवाना विधानसभा क्षेत्र की बड़ी ग्राम पंचायतों में से पादरू एक है। पादरू गांव की आबादी भी करीब 10 हजार से अधिक है। वहीं आसपास के दर्जनों गांवों का भी मुख्य मार्केट यहां है। पादरू में 90 के दशक में सरकार ने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र स्वीकृत कर चिकित्सक समेत अन्य कार्मिकों के पद स्वीकृत किए थे। इसके बाद यहां चिकित्सा सुविधाओं में कोई विस्तार नहीं किया गया। जबकि, पिछले 30 वर्षों में आबादी काफी बढ़ गई। ऐसे में उपचार को लेकर हर दिन मरीजों को परेशानी उठानी पड़ती है।