प्रतापगढ़ : प्रतापगढ़ स्थित अफीम तुलाई केंद्र पर मंगलवार को अफीम की तुलाई का काम पूरा हो गया। इसमें प्रतापगढ़ भाग के 3936 किसानों की अफीम तौली गई। जबकि 363 अफीम किसानों की फसल पहले ही उखाड़ दी गई थी, इनको इस तुलाई में शामिल नहीं किया गया।
जिला अफीम अधिकारी एडवर्ड रोजारियो ने बताया कि होटल सोहन पैलेस स्थित अफीम तोल केंद्र पर इस बार 17705.710 किलोग्राम अफीम की कुल तुलाई हुई है। इस हिसाब से इन किसानों को 2 करोड़ 42 लाख 79000 रुपए का भुगतान किया गया है। प्रतापगढ़ भाग में 243.540 हेक्टर में इस बार अफीम की बुवाई का तोल करवाया गया है। यहां तोल केंद्र पर 195 गांव के किसानों को तुलाई के लिए बुलाया गया था।
जिले में साढे़ चार करोड़ रुपए के करीब हुआ भुगतान
जिले में इस बार करीब 7000 किसानों की अफीम की तुलाई हुई है। प्रतापगढ़ और छोटीसादड़ी दो खंडों में किसानों के अफीम तुलाई हुई। दोनों खंडों में मिलाकर करीब साढे़ 4 करोड रुपए का भुगतान किसानों को किया गया है। जिला अफीम अधिकारी खंड छोटीसादड़ी डीके सिंह ने बताया कि 22 मई को छोटीसादड़ी में अफीम तुलाई का काम पूरा हो चुका है। इस बार अफीम तुलाई में भी कोरोना का संकट दिखा है। पहले तो अफीम की तुलाई एक महीने बाद शुरू हो पाई थी, इसके बाद शुरुआती तीन चार दिनों तक 50 से 60 किसानों को ही तुलाई के लिए बुलाया जा रहा था। किसानों ने लगातार जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से संख्या बढ़ाने की मांग की थी। इसके बाद इन सेंटरों पर किसानों की संख्या बढ़ाई गई, लेकिन कोरोना से बचने के लिए पूरे इंतजाम भी किए गए थे।
सोशल डिस्टेंसिंग के साथ मास्क की अनिवार्यता को भी रखा गया था। फिर भी अगर पिछले साल की बात की जाए तो जहां प्रति सेंटर 300 से ज्यादा किसानों को प्रतिदिन बुलाया जा रहा था वहीं इस बार यह संख्या 280 से ज्यादा नहीं हो पाई थी। बरडिया गांव के 147 किसानों की अफीम की तुलाई हुई। जबकि पानमाॅडी में केवल विज्ञान से किसानों को अफीम तुलाई के लिए बुलाया गया था। पानमोड़ी में जहां कोरोना मरीज सामने आए थे, वहीं बरडिया में कोरोना मरीज की कांटेक्ट हिस्ट्री सामने आई थी। ऐसे में चिकित्सा विभाग द्वारा लगातार यहां पर स्क्रीनिंग और सर्वे का काम जारी था। इसके लिए नारकोटिक्स विभाग भी इन गांव में तुलाई से अंतिम दिनों तक बचने की कोशिश में जुटा रहा।
दो शिफ्ट की वजह भी थी यही
अफीम तुलाई को इस बार 2 शिफ्ट में बांटा गया था। इसमें पहली शिफ्ट सुबह 6.30 बजे से और दूसरी शिफ्ट सुबह 11 बजे से शुरू होती थी। सेंटर पर अंदर घुसते ही जहां पहले किसान को अच्छे तरीके से सेनिटाइज किया जाता, उसके बाद उसकी स्क्रीनिंग करने के बाद ही अंदर प्रवेश दिया जाता था।