अजमेर : मुस्लिम समुदाय ने सोमवार को सादगी के साथ ईद उल फितर का पर्व मनाया। ईद की खुशियां घरों में ही मनाई गई, घरों में ही नमाज अदा की गई। इसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों अपने घरों से ही ईद की मुबारकबाद फोन और सोशल मीडिया के जरिए दी। पूरे दिन मुस्लिम परिवारों में ईद की खुशियां मनाई गई।
कोरोना के संक्रमण को रोकने के बरती जा रही सावधानियों के कारण घरों में ही ईद मनाने की तैयारियां की गई। घरों में ही नमाज अदा कर खुदा का शुक्रिया अदा कर दुआ की गई। घरों में मीठी सिवइयां बनाई गई। बड़े बुजुर्गों ने अपने परिवार के सदस्यों को परंपरागत तरीके से बांटे जाने वाली ईदी भी दी। मालूम हो कि इस बार सामूहिक रूप से होने वाली रोजा इफ्तार पार्टियां भी कोरोना के कारण आयोजित नहीं हुई। शहर में आपसी सौहार्द्र के चलते इन पार्टियों के आयोजन बड़े स्तर पर होते थे।
दरगाह में पासधारी ही अदा कर पाए नमाज
ख्वाजा साहब की दरगाह स्थित शाहजहांनी मस्जिद में केवल उन लोगों ने ही नमाज अदा की, जिन्हें पास जारी हुए थे। यह पास प्रशासन की ओर से जारी किए गए। बाकी लोगों को घरों पर रहकर ही नमाज अदा करने के लिए कहा गया। मौलाना तौसिफ अहमद सिद्दकी, मौलाना बशर उल कादरी,मौलाना असलम कासमी आदि ने अपील जारी कर लोगों से घरों में सुबह 9 से 11.30 बजे तक नमाज अदा करने की अपील की। लोगों ने घरों में ही नमाज अदा की।
दरगाह में खुला जन्नती दरवाजा
ईद के मौके पर ख्वाजा साहब की दरगाह में सोमवार सुबह 4.30 बजे जन्नती दरवाजा खोला गया। इस दिन खासी तादाद में अकीदतमंद इस दरवाजे से गुजरते हैं। जन्नती दरवाजे को दोपहर 2.30 बजे वापस मामूल कर दिया गया। मालूम हो कि जन्नती दरवाजा साल में चार बार खोला जाता है। जन्नती दरवाजा ईद, बकरीद तथा खाजा उस्मान हारूनी के उर्स पर एक-एक दिन तथा ख्वाजा साहब के उर्स के मौके पर 6 दिन के लिए खोला जाता है।