 
बाड़मेर.आज विश्व पर्यावरण दिवस है, ऐसे में आज हम एक ऐसे शख्स से रूबरू करवा रहे हैं, जो पर्यावरण बचाने को संदेश को लेकर विकट परिस्थितियों में भी अनूठी मिसाल कायम कर रहे हैं। ये शख्स है बाड़मेर के लंगेरा गांव निवासी नरपतसिंह राजपुरोहित। 35 साल की उम्र में घर-परिवार से दूर पर्यावरण बचाने लिए देशभर में साइकिल यात्रा कर पौधे बांटे हैं। एक ही संदेश है कि ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाओ, देश को हरा-भरा बनाओ।
स्वच्छ जलवायु और शुद्ध ऑक्सीजन मिलने से हमारा कल सुरक्षित होगा। ये ही वजह है कि करीब डेढ़ साल पहले जम्मू-कश्मीर से पर्यावरण बचाने के संदेश को लेकर देशभर में साइकिल पर यात्रा के लिए निकल पड़े। 400 दिनों में करीब 15 राज्यों में 22000 किमी. की यात्रा कर चुके हैं। गर्मी, सर्दी, बारिश, तूफान और दुर्गम रास्तों में अकेले ही पीठ पर पौधों को लिए हुए साइकिल पर सफर तय कर रहे हैं।
नरपतसिंह ने 27 जनवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर से पर्यावरण बचाने के लिए साइकिल पर यात्रा की शुरूआत की थी इसके बाद हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, उतराखंड, यूपी, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडू, पांडूचेरी, दीप-दमन तक की यात्रा कर चुके हैं। परिवार में माता-पिता, पत्नी और बच्चों से दूर सिर्फ पर्यावरण बचाने के जज्बे, जूनुन को लेकर देशभर की यात्रा कर पौधे लगा रहे है।
प्रेरणा
2005 में स्कूल में पौधों को पानी पिलाने व देखभाल करने पर बाल सभा में होती थी प्रशंसा। शिक्षक की प्रेरणा मिसाल बनी।
जोश
हादसे में एक पैर में गंभीर चोट, फिर भी 400 दिनों में साइकिल पर 22 हजार किमी. यात्रा की।
शुरूआत
27 जनवरी 2019 को जम्मू एयपोर्ट से पर्यावरण यात्रा की शुरूआत हुई।
उपलब्धि
गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड, वर्ल्ड रिकार्ड ऑफ लंदन मिल चुका है।
अच्छी पहल
दहेज प्रथा के खिलाफ भी मुहीम चलाई, बहन की शादी में दहेज में 251 पौधे दिए।
साइकिल पर 15 राज्यों में घूमकर खुद ने दिए लोगों से लगवाए 87 हजार पौधे
 
नरपतसिंह राजपुरोहित ने 400 दिनों में 15 राज्यों के 200 से ज्यादा जिलों की यात्रा की है। हर रोज पौधे खरीदते हैं और पर्यावरण बचाने के लिए जगह-जगह कार्यक्रम कर पौधे लगाते हैं। कलेक्टर, एसपी सहित बड़े अधिकारियों के साथ भी अलग-अलग जिलों में कार्यक्रम कर चुके हैं। अब तक करीब 87 हजार पौधे लगाए है।
पौधे लगाने के साथ ही उसकी देखभाल के लिए शपथ भी दिलाते हैं। अगर पौधा जल भी जाता है तो उसकी जगह नया पौधा लगाना होता है। ये ही वजह है अब तक लगाए 87 हजार पौधों में 90 फीसदी पौधे जिंदा है।
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