Rajasthan Village News

राजस्थान के गांवो की ताज़ा खबरें हिंदी में

शुक्रवार, 5 जून 2020

गिरल में नए जीवाश्म स्थल पर मिले शार्क के दांत; जलवायु परिवर्तन के बारे में मिले महत्वपूर्ण तथ्य

गिरल में नए जीवाश्म स्थल पर मिले शार्क के दांत; जलवायु परिवर्तन के बारे में मिले महत्वपूर्ण तथ्य
बाड़मेर,रेगिस्तान में जलवायु परिवर्तन की वजह से गिरल माइंस में नए जीवाश्म स्थल की खोज की गई है। पहली बार जिले में शार्क के बड़ी संख्या में दांत मिले हैं। इस जीवाश्म स्थल का अध्ययन गर्म, आर्द्र, तटीय परिस्थितियों से लेकर वर्तमान में शुष्क और रेगिस्तानी जैसी जलवायु परिस्थितियों में पर्यावरणीय परिवर्तनों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की है।
इसका शोध दिल्ली विश्वविद्यालय के भूविज्ञान विभाग द्वारा किया गया है। जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर स्थित पद्म राव ओपन कास्ट खदान (गिरल लिग्नाइट)के रूप में जाना जाने वाला एक नया जीवाश्म स्थल की खोज की गई।
जैसलमेर के फतेहगढ़ , कपूरिया और आकल से प्राप्त अन्य जीवाश्मों के साथ बरामद जीवाश्मों की तुलना करने के बाद, विशेषज्ञों ने पाया कि इस नए जीवाश्म स्थल की पैलियोइन्वायरमेंट और पैलेओकोलॉजी अन्य जीवाश्म साइटों से अलग थी। अन्य जीवाश्म इलाकों से अधिकांश जीवाश्म रिकॉर्ड समुद्री और मीठे पानी के आदानों के साथ तटीय लैगूनल वातावरण में जमा होते थे।
शोध में दावा: शार्क के ऐसे दांत उथले समुद्री वातावरण में ही पाए जाते हैं
शोधकर्ता टीम के अनुसार शार्क के विभिन्न दांतों की एक बड़ी संख्या जैसे कि स्क्वैटिसिलियम नाइजीरेन्सिस, गैन्टेनस्टोमा सोकोटोन्स है। यह संभवतः अलग-अलग वातावरण के कारण हो सकता है और अध्ययन किए गए क्षेत्र की उम्र में थोड़ा बड़ा हो सकता है, जो कि वर्तमान जीवों के आधार पर देर से पेप्लोसिन युग के रूप में सुझाया गया है। इस जीवाश्म स्थल से बरामद किए गए अधिकांश शार्क के दांत मुख्य रूप से आंतरिक शेल्फ क्षेत्र के लिए प्रतिबंधित उथले समुद्री वातावरण में पाए जाते हैं।
पद्म राव खदान से शार्क का जीवाश्म, पद्म राव खदान की फुलर की पृथ्वी के जमाव के दौरान ऊष्णकटिबंधीय से ऊष्णकटिबंधीय जलवायु की उपस्थिति को इंगित करता है। इन शार्क दांतों के अध्ययन से हमें इस क्षेत्र में शुष्क और रेगिस्तानी जलवायु परिस्थितियों की गर्म, आर्द्र, तटीय स्थितियों से लेकर पर्यावरणीय परिवर्तनों के बारे में जानकारी मिली।
क्या है इयोसीन युग :
इयोसीन युग पैलियोजिन युग (6.5 से 2.3 करोड़ वर्ष पूर्व) के मध्यकाल को माना जाता है। इयोसीन युग को तीन (निम्न, मध्य और उच्च) काल में बांटकर देखा जाता है। यही वह काल था जिसमें समुद्र और थल पर कई तरह के पक्षी, सरीसृप और स्तनधारी जीव पाए जाते थे। जमीन पर रहने वाले घोड़ा, हिरण, समुद्री जीवों में शार्क प्रमुख थी। समुद्री व्हेल का जन्म इयोसीन युग से ही माना जाता है।
जैसलमेर के आकल में पहले मिल चुके हैं जीवाश्म :
भू-वैज्ञानिकों के अनुसार जैसलमेर में पूर्व में 18 करोड़ साल पुराने आकल लकड़ी के जीवाश्म मिल चुके हैं। इन्हें जैसलमेर शहर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जीवाश्म संग्रहालय में रखा गया है। पर्यटक यहां पर पेड़ के तनों के विशाल जीवाश्म और प्राचीन समुद्री शंख देख सकते हैं। जैसलमेर बेसिन से पहली बार प्राप्त हुआ यह एक महत्वपूर्ण खोज और शोधकार्य है। इसमें आदिम व्हेल के जीवाश्मों का मिलना, स्तनधारी जीवों के प्रारंभिक विकास को दर्शाता है।
एक्सपर्ट व्यू
बाड़मेर-जैसलमेर में समुद्र की वजह से मिल रहे हैं जीवाश्म
बाड़मेर व जैसलमेर के रेगिस्तान में मध्य आदिकाल के समुद्री जीवाश्मों की उपस्थिति से संकेत मिलता है कि लाखों वर्ष पहले एक समुद्री उपस्थिति थी। गुजरात में पहले दी गई रिर्पोट में जीवों के साथ समानता मिलती है। स्थितियों के तहत इसी तरह के उथले समुद्री प्रतिनिधित्व को दर्शाता है।
समुद्र की वजह से पानी के साथ बहकर आए पेड़ रेत में दब गए। रेगिस्तान में अधिक तापमान की वजह से पेड़ कार्बन में तब्दील हो गए। इस वजह से लिग्नाइट के साथ जीवाश्म मिल रहे हैं। अलग-अलग शोधकर्ताओं की रिपोर्ट के अनुसार बाड़मेर में पहले समुद्र था। इसी वजह से जीवाश्म ही नहीं लिग्नाइट व तेल के भंडार मिले हैं।
-राजीव कश्यप, सीनियर भू-वैज्ञानिक