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रविवार, 7 जून 2020

20 रेजीडेंट और स्वास्थ्य कर्मचारी संक्रमित भय इतना कि 2 मीटर दूर से कर रहे हैं इलाज

20 रेजीडेंट और स्वास्थ्य कर्मचारी संक्रमित भय इतना कि 2 मीटर दूर से कर रहे हैं इलाज
झालावाड़,जिला एसआरजी अस्पताल में कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा फिर बढ़ रहा है। फिर से रेजीडेंट व स्वास्थ्य कर्मी कोरोना पॉजिटिव मिल रहे हैं। दो दिन पहले भी अस्पताल के तीन स्वास्थ्यकर्मी कोरोना संक्रमित मिले। इससे पहले दो रेजीडेंट डॉक्टर भी कोरोना संक्रमित हुए।
यानी अभी तक अस्पताल में 20 जने संक्रमित हो गए, इसके कारण अस्पताल के अन्य डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मियों में कोरोना का भय बढ़ रहा है। डॉक्टर 2 मीटर दूरी से इलाज कर रहे हैं, वहीं स्वास्थ्यकर्मी कोविड-19 में ड्यूटी करने से घबरा रहे हैं। कुछ दिन पहले कोविड-19 में ड्यूटी लगाने के कारण कुछ नर्सिंगकर्मी सेवाएं देने नहीं आए। इस पर अस्पताल अधीक्षक द्वारा नोटिस दिए गए थे। इससे यह तो साफ हो गया है कि डॉक्टर व स्वास्थ्यकर्मी कोरोना वायरस के कारण भयभीत है, उनको डर है कि वे कहीं पॉजिटिव नहीं हो जाए, इसके कारण सहमे हुए इलाज कर रहे हैं।
इसके अलावा कुछ केस ऐसे भी आए हैं, जो अस्पताल में इलाज कराने आए और कोरोना संक्रमित हो गए। ऐसे में कई लोग तो जरूरी होने पर जिला एसआरजी अस्पताल में इलाज कराने पहुंच रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्र से भी मरीज कम ही आ रहे हैं। इसके कारण अन्य सालों में जून माह में ओपीडी 2700 के करीब होती थी, वह इन दिनों महज 750 पर रह गई है, इसमें कोविड-19 की ओपीडी भी शामिल है।
दो मीटर दूर से पूछ रहे हैं तकलीफ
अस्पताल में ओपीडी में इलाज कराने वाले मरीजों का कहना है कि लॉकडाउन के दौरान जिला एसआरजी अस्पताल में संक्रमण फैलने पर इसे जीरो मोबिलिटी घोषित कर बंद करने का निर्णय लिया था, तब डॉक्टर मोबाइल पर बीमारी जानकर दवाइयां लिख रहे थे। अब जिला अस्पताल में ओपीडी शुरू हुई तो बस फर्क इतना है कि मरीज अस्पताल आता है, डॉक्टर कक्ष में जाता है, जहां 2 मीटर की दूरी पर खड़ा कर दिया जाता है। डॉक्टर पूछता है-क्या तकलीफ है, मरीज अपनी बीमारी बताता है और डॉक्टर दवा पर्ची पर दवाइयां लिख देता है, बस हो गया इलाज।
ड्यूटी करने से घबरा रहे: जिला एसआरजी अस्पताल में प्रतिदिन कोरोना वायरस के मरीज भर्ती हो रहे हैं। इसके अलावा ओपीडी में भी लगातार मरीज आ रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्यकर्मी कोविड में ड्यूटी करने से घबरा रहे हैं। इसके चलते कुछ दिन पहले जिन कर्मचारियों की कोविड में ड्यूटी लगाई गई थी, वे ड्यूटी पर आए ही नहीं, इस पर अस्पताल अधीक्षक द्वारा उनको नोटिस देकर तलब भी किया गया।
ब्रेक: दो दिन में 454 सैंपलों की रिपोर्ट निगेटिव आने से राहत
जिले में दो दिन के लिए सही, लेकिन कोरोना संक्रमण पर ब्रेक लगा है। दो दिन में 454 सैंपलों की रिपोर्ट निगेटिव आने से जिला प्रशासन व चिकित्सा विभाग सहित आमजन ने राहत की सास ली है। खासकर झालरापाटन के लोगों काे राहत मिली। हॉटस्पॉट झालरापाटन सहित जिले में 2 दिनों में कोई नया कोरोना रोगी नहीं आया है। सभी भगवान से यही प्रार्थना करते हैं कि अब कोरोना थम जाए। झालरापाटन में 23 मई के बाद लगातार मरीज सामने आ रहे हैं। यहां पर अभी तक 261 कोरोना वायरस के मरीज सामने आ चुके हैं।
इसके चलते जिले में कोरोना संक्रमितों की संख्या 326 पहुंच चुकी है। लोगों के मन में कोरोना का भय इस कदर बना हुआ है कि एक-दूसरे से मिलने में भी घबरा रहे हैं। अब दो दिन में हॉटस्पॉट झालरापाटन सहित जिले में कोई नया कोरोना मरीज नहीं आया है। इसके अलावा 454 सैंपलों की रिपोर्ट भी निगेटिव आई है।
झालरापाटन में एक ओर पॉजिटिव मिला, जिले में हुई 327 संख्या
झालरापाटन में शनिवार रात को एक और कोरोना पॉजिटिव मिला है। यहां पर कोरोना संक्रमितों की संख्या 262 हो गई है। जबकि जिले में यह आंकड़ा 327 पर पहुंच चुका है। झालावाड़ मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ़ दीपक गुप्ता ने बताया कि शनिवार को सैकंड लॉट में 57 सैंपल टेस्ट के लिए लगाए गए थे, इसमें एक कोरोना पॉजिटिव मिला है। नया संक्रमित झालरापाटन का है।
कुछ कर्मचारी लापरवाही से हुए संक्रमित
अस्पताल में कोरोना वायरस का खतरा है, लेकिन कुछ कर्मचारी अपनी लापरवाही से भी संक्रमित हुए हैं। जानकारी करने पर सामने आया कि अस्पताल प्रशासन द्वारा कोविड वार्ड में ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों को लिए पीपीई किट पहनना अनिवार्य किया हुआ है, लेकिन कुछ कर्मचारी इस बात पर अड़े रहे कि जब कोविड के मरीज आएंगे तो पहन लेंगे। इन लोगों की यह गलती भारी पड़ गई और वे संक्रमित हो गए।
प्रसूता इलाज के दौरानहुई संक्रमित
अस्पताल में संक्रमण का खतरा है, इसमें कोई दोराय नहीं है। जिला जनाना अस्पताल में सिविल लाइन कोठी रोड की गर्भवती महिला अस्पताल में इलाज कराने के दौरान संक्रमित हुई। जबकि उनके परिवार सहित आसपास के लोगों की जांच करवाई गई तो सभी निगेटिव आए। ऐसे में महिला का प्रसव हुआ तो कोरोना पॉजिटिव के दौरान उन्हें अलग रखा गया।