झालावाड़,कोरोना संक्रमण का असर अभी भी बिजली उत्पादन पर दिखाई पड़ रहा है। लॉकडाउन में बिजली की डिमांड कम होने से दोनों इकाइयां बंद रही, लेकिन अब धीरे-धीरे जनजीवन पटरी पर आ रहा है। वर्तमान में बिजली की डिमांड भी कम नहीं है, फिर भी कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट की दोनों इकाइयों को बंद करवा दिया गया है। अब यहां पूरी तरह से बिजली का उत्पादन बंद है।
24 मई को दूसरी इकाई बंद की गई थी। शुक्रवार देर शाम को पहली इकाई को भी बंद कर दिया गया। सामान्य दिनों में औसत 10 हजार मेगावॉट तक बिजली की डिमांड रहती है। वर्तमान में 9 हजार 200 मेगावॉट डिमांड चल रही है, उसके बावजूद थर्मल की इकाइयां बंद करवाई गई हैं। दरअसल कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट की दोनों इकाइयों से 600-600 मेगावॉट की बिजली बनती है। लॉकडाउन के दौरान राजस्थान में बिजली की डिमांड आधी से भी कम रह गई थी। इस कारण 27 मार्च को यहां दोनों इकाइयों से उत्पादन बंद कर दिया गया था।
बाद में जब कुछ डिमांड बढ़ने लगी तो मई में इनको फिर से शुरू किया। अब दोनों ही इकाइयों से उत्पादन पूरी तरह से बंद करवा दिया गया है। इसके पीछे कारण बताया जा रहा है कि राजस्थान में अभी भी बिजली की मांग नहीं बढ़ी है। जबकि उत्पादन निगम के ऑनलाइन आंकड़ें देखें तो वर्तमान में 9 हजार 200 मेगावॉट बिजली की मांग है।
छबड़ा में चल रहा लगातार उत्पादन
राजस्थान में अधिकतर बिजली उत्पादन निगम बंद किया गया है, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि सिर्फ सरकारी उत्पादन निगमों को ही बंद किया गया है। जो प्राइवेट उत्पादक हैं उनके प्लांट अभी भी चालू हैं। इनसे उत्पादन जारी है। छबड़ा और अन्य जगहों की इकाइयों को बंद नहीं करवाया गया है।
ऐसे जानें क्या हो रहा है असर
कोरोना के चलते 23 मार्च से राजस्थान में तमाम फैक्ट्रियां, उद्योग सहित सभी जगह बंद रहा। इसके चलते बिजली की डिमांड आधी भी नहीं रही। बाद में जब उद्योग और धीरे-धीरे बाजार खुलने लगे तो बिजली की डिमांड बढ़ने लगी। इसके चलते थर्मल की इकाइयां भी शुरू करनी पड़ीं। अब जब बिजली की डिमांड धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है तो फिर भी इकाइयों को बंद करने से यहां कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट को घाटा लग सकता है। पहले ही प्लांट काफी नुकसान में चला गया था। बाद में इसको रिकवर किया गया, लेकिन अब दोनों इकाइयों के बंद होने से बिजली उत्पादन नहीं होगा और थर्मल को नुकसान भुगतना पड़ेगा।
दोनों इकाइयां एक साथ लंबे समय तक नहीं कर पाईं उत्पादन
कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट की दो 600-600 मेगावाट की इकाइयां हैं। दूसरी इकाई में अक्सर तकनीकी खराबी आ जाती है। पहले जनरेटर में खराबी आने से लंबे समय तक यह इकाई बंद रही है। इसके चलते दोनों इकाइयों से एक साथ लंबे समय तक बिजली का उत्पादन नहीं हो पाया। लॉकडाउन से पहले दोनों ही इकाइयां पूरी क्षमता के साथ बिजली का उत्पादन कर रही थीं, लेकिन उसके बाद राजस्थान में उत्पादन घटने से इनको बंद करना पड़ा था।
^ राजस्थान में बिजली की डिमांड नहीं बढ़ पा रही है। इस कारण दोनों इकाइयों को बंद किया गया है। एग्रीकल्चर से लेकर डोमेस्टिक और उद्योगिकी बिजली की डिमांड काफी कम है।
जीके राठी, चीफ इंजीनियर, कालीसिंध थर्मल पावर प्लांट, झालावाड़।