उदयपुर,लॉकडाउन के कारण जहां कई उद्योग-धंधे बंद हुए है तो दूसरी तरफ मनरेगा योजना में श्रमिकों की संख्या एकाएक बढ़ी है। बड़ा कारण दूसरे राज्यों से प्रवासियों की वापसी है, जो अब रोजगार के लिए मनरेगा से जुड़े हैं। जिले में मनरेगा में काम करने वालों की संख्या 2 लाख 33 हजार 756 तक हो गई है, जिसमें और बढ़ोतरी का अनुमान है। भास्कर पड़ताल में सामने आया है कि पिछले साल मनरेगा में मई में 1 लाख 50 हजार 759 श्रमिकों का नियोजन था।
जबकि जिले में इसी साल 28 मई तक 2 लाख 14 हजार 451 श्रमिक नियोजित थे। सबसे ज्यादा 28 हजार 690 श्रमिक खेरवाड़ा ब्लॉक में काम कर रहे हैं। जिला परिषद सीईओ कमर चौधरी ने बताया कि जिले में योजना प्रारंभ से एमआईएस अनुसार वर्ष 2018-19 तक के 201316 में से 169694 काम पूरे किए जा चुके है। विशेष अभियान गत वर्ष 2019-20 चलाया गया, जिसके तहत 40 हजार 124 कार्य पूर्ण किये गए। यह राज्य में सर्वाधिक है। जिले में वर्ष 2019-20 में 144.54 लाख मानव दिवसों का सृजन किया गया जो कि विगत 10 वर्षों में सबसे ज्यादा है। मनरेगा में व्यक्तिगत लाभ के तहत प्रधानमंत्री आवास, कैटल शेड, वर्मिकम्पोस्ट, भूमि समतलीकरण और टांका निर्माण के काम भी हो रहे हैं। बता दें, इस योजना में प्रत्येक श्रमिक को कम से कम सौ दिन का रोजगार दिया जाता है।
गड़बड़ियां : पूरे नहीं मिले श्रमिक, चार मेट ब्लैकलिस्ट, दावा : काम व्यवस्थित हो रहे हैं
अधिकारी और कई जनप्रतिनिधियों का दावा है कि मनरेगा में काम व्यवस्थित हो रहा है। हालांकि इसके उलट गड़बड़ी की शिकायतें भी मिली हैं। पिछले दिनों ही झाड़ोल विधानसभा क्षेत्र के कोल्यारी और बिरोठी में बीडीओ बृजलाल के आकस्मिक निरीक्षण में तय संख्या में श्रमिक नहीं पाए जाने पर चार मेट को ब्लैकलिस्ट किया गया। श्रमिकों की फर्जी उपस्थिति लगाने पर पुलिस में मामला भी दर्ज करवाया गया था।
गोगुन्दा में 10 हजार 359 में से 2500 जुड़े योजना से
गोगुन्दा पंचायत समिति क्षेत्र में लॉक डाउन के बाद बाहरी राज्यों से अब तक 10 हजार 359 प्रवासी लौटे हैं। इनमें से करीब 2500 ने मनरेगा में रोजगार के लिए आवेदन कर काम मांगा है। लगभग सबको काम मिल गया है। लॉकडाउन में 456 नए जॉबकार्ड बने हैं। कुल जॉब कार्ड की संख्या 26602 हो चुकी है।
फलासिया में 3300 में से 1000 बने श्रमिक : लॉकडाउन से पूर्व यहां के लोग मजदूरी के लिए जिला मुख्यालय सहित पड़ोसी राज्य गुजरात के शहरों का रुख करते थे। लेकिन लॉक डाउन के कारण ज्यादातर लोगों ने मनरेगा का रुख किया है। इसलिए योजना में श्रमिक एकदम बढ़े हैं। लॉकडाउन के दौरान पंचायत समिति क्षेत्र में 3300 से ज्यादा प्रवासी आए थे, जिनमें से करीब एक हजार लोग मनरेगा में काम पर लग चुके हैं।
ब्लॉकवार श्रमिक
बड़गांव 4581
भींडर 8006
गिर्वा 11867
गोगुंदा 14479
झाड़ोल 16776
झल्लारा 8258
खेरवाड़ा 28690
कोटड़ा 25966
कुराबड़ 6595
लसाड़िया 9350
मावली 9386
फलासिया 14212
ऋषभदेव 23119
सलूंबर 7999
सराड़ा 14425
सायरा 15033
सेमारी 15014
काम व्यवस्थित चल रहे, शिकायत नहीं आई
दो पंचायत समितियां खेरवाड़ा विधानसभा में है इसलिए यहां श्रमिक संख्या ज्यादा हंै। काम व्यवस्थित चल रहे हैं। अधिकारी फील्ड में जाकर काम देख रहे हैं, जनता भी जागरूक हुई है। अभी न गड़बड़ी की कोई शिकायत आई है, न किसी ने यह शिकायत की है।-दयाराम परमार, विधायक, खेरवाड़ा
श्रमिक बढ़े हैं, सख्त निगरानी की जरूरत
मैं पिछले दिनों डाकनकोटड़ा, बलीचा, पई और बछार पंचायत में मनरेगा के काम देखने गया था। डाकन कोटड़ा में गड़बड़ियां मिली। श्रमिक कम थे। अधिकारियों को सूचना भी दी। उम्मीद है कार्रवाई होगी। श्रमिक बढ़े हैं तो देखरेख सख्त करने की जरूरत है।फूलसिंह मीणा, ग्रामीण विधायक
छोटी-मोटी शिकायतें आते ही होती है कार्रवाई
मनरेगा में अभी इतने श्रमिक काम कर रहे हैं कि पिछले 10 साल का रिकॉर्ड है। लॉकडाउन से गांवों में लोगों का रुझान मनरेगा की तरफ बढ़ा है। मैं खुद कई जगह मौके पर गया, वहां पूरे श्रमिक मिले। छोटी-मोटी शिकायतें आती हैं, उससे इनकार नहीं कर सकते। बड़ा मामला ध्यान में आते ही कार्रवाई की जाती है।-कमर चौधरी, सीईओ, जिला परिषद