जयपुर,लॉक डाउन समाप्त होने के बाद गर्भपात कराने वाली महिलाओं की संख्या में जबरदस्त इजाफा हो सकता है। रिसर्च में अनुमान लगाया गया है कि राजस्थान में जिन महिलाओं के गर्भधारण का 20 हफ्ता पूरा नहीं हुआ है, ऐसी करीब 40 से 50 हजार महिलाएं जून-जुलाई में गर्भपात करा सकती हैं। चिंताजनक यह है कि यह आंकड़ें में सभी शहर, कस्बे और गांव शामिल हैं। एसआरकेपीएस नामक संस्था के अध्ययन के अनुसार, राजस्थान में हर साल करीब सवा दो लाख गर्भपात होते हैं।
लॉक डाउन के दौरान करीब 50 हजार या इससे अधिक महिलाओं को गर्भपात की सुविधाएं नहीं मिल पाई है। जिस वजह से आने वाले महीनों में गर्भपात के आंकड़ों में वृद्धि हो सकती है। यह संस्था लंबे समय से पीसीपीएनडीटी मामलों पर काम करती रही हैं। इसकी रिसर्च में बताया गया है कि प्रदेश में 37 हजार से ज्यादा महिलाएं तो हर महीने गर्भपात कराती ही हैं। इस बीच लॉक डाउन में 10 से 15 हजार महिलाएं ऐसी भी हैं, जो फैमिली प्लानिंग के लिए जरूरी साधनों का इस्तेमाल नहीं कर पाई।
राजस्थान में गर्भपात मामलों पर काम कर रहे राजन चौधरी बताते हैं कि उनका अनुमान है कि राजस्थान में लॉक डाउन में जब छूट मिलेगी तो जून-जुलाई में 40 से 50 हजार महिलाएं गर्भपात कराएगी। नवंबर-दिसंबर में जाकर डिलीवरी के मामलों में भी 10 से 20 फीसदी तक इजाफा होगा। राजस्थान में हर साल 14 लाख डिलीवरी होती हैं। इसमें अगर कुछ आंकड़े जोड़े तो इस साल डिलीवरी की संख्या में दो लाख तक की बढ़ोतरी हो सकती है। चिंताजनक यह भी है कि मातृ और शिशु मृत्यु दर में भी 10 फीसदी तक बढ़ोतरी हो सकती है।
18 लाख को गर्भपात की सुविधा नहीं मिली
फाउंडेशन फॉर रिप्रोडक्टिव हेल्थ सर्विसेज इंडिया (एफआरएचएस) ने 2017, 2018 और 2019 के आंकड़ों और गर्भ न ठहरने के लिए बाजार में मौजूद कॉन्ट्रासेप्टिव और आईयूसीडी (इंट्रा यूट्रीनल कॉन्ट्रासेप्टिव डिवाइस) की बिक्री के आंकड़ों के आधार पर एक विश्लेषण किया तो पाया कि लॉकडाउन की वजह से परिवार नियोजन जैसी योजना को एक बड़ा झटका लगने का अंदेशा है। सर्वे बताता है कि हर महीने देशभर में 13 लाख महिलाएं गर्भपात कराती हैं। लॉक डाउन की वजह से 18 लाख महिलाओं को गर्भपात की सुविधाएं नहीं मिल पाई है। जिस वजह से आने वाले महीनों में गर्भपात के मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है।
निजी अस्पतालों व क्लीनिक में गर्भपात के लिए 4500 रुपए तक ज्यादा चुकाने होंगे
इस संस्था का अनुमान है कि निजी अस्पतालों और क्लीनिकों में गर्भपात कराना भी महंगा हो जाएगा। आने वाले समय में कोविड टेस्ट अगर सरकार की तरफ से मेंडेटरी कर दिया जाता है तो उसका बोझ भी गर्भवती महिलाओं पर पड़ेगा और जो खर्च 2 हजार से पांच हजार में हो जाता है उसके साथ 4500 रुपए अतिरिक्त देने पड़ेंगे। अमूमन देश में हर महीने 12-13 लाख गर्भपात कराए जाते हैं और यह सुरक्षित गर्भपात का आंकड़ा है। यानी साल में करीब 1.5 करोड़ के करीब गर्भपात कराए जाते हैं।
सर्वे में 1743 माताओं की मृत्यु की आशंका जताई जा रही है
एफआरएसएच का अनुमान है कि सितंबर से पहले तक परिवार नियोजन की सेवाएं पूरी तरह शुरू नहीं हो पाएंगी। रिपोर्ट में बताया गया है कि देश में 23 लाख अनचाहे गर्भ धारण किए जाने की संभावना है। जबकि 6.79 लाख बच्चों के जन्म लेने, 14.5 लाख गर्भपात (इसमें असुरक्षित गर्भपात भी शामिल है) और 1,743 माताओं की मृत्यु की अाशंका है।