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गुरुवार, 4 जून 2020

अस्पताल वाले साफ झूठ बोल रहे हैं, शाम 7 बजे से लालचंद अंकल तड़प रहे थे, मौत होने तक उन्हें किसी ने भी नहीं देखा

अस्पताल वाले साफ झूठ बोल रहे हैं, शाम 7 बजे से लालचंद अंकल तड़प रहे थे, मौत होने तक उन्हें किसी ने भी नहीं देखा
  कोटा, अस्पताल के कोविड संदिग्ध वार्ड में कैथून निवासी लालचंद मालव की मौत के मामले में हर स्तर पर लीपापोती जारी है। इस बीच भास्कर ने सबसे पहले इस मामले में नरेंद्र मेहरा नाम के उस शख्स को ढूंढा, जिसने तड़पते हुए लालचंद का वीडियो बनाया और वायरल किया। अब इसी घटना का एक और चश्मदीद पत्रकार ने ढूंढा है। इस घटना की दूसरी चश्मदीद है ज्योति (17), जो प्रताप कॉलोनी, स्टेशन की रहने वाली है। ज्योति ने पत्रकारों से कहा कि “अस्पताल वाले साफ झूठ बोल रहे हैं, शाम 7 बजे से लालचंद अंकल तड़प रहे थे, रात को मौत होने तक उन्हें किसी ने भी नहीं देखा। जब वे नीचे गिर गए और मर चुके थे, तब डॉक्टर व अन्य स्टाफ आए।’ मैंने खुद अपने भाई शुभम को कॉल किए और उन्होंने डॉक्टर को कॉल किए, तब डॉक्टर आए, लेकिन तब तक लालचंद दम ताेड़ चुके थे।
ज्योति को खांसी-जुकाम होने पर एमबीएस में दिखाया गया था। जहां से उसे कोविड टेस्ट के लिए नए अस्पताल भेज दिया, क्योंकि उनके मोहल्ले से कोरोना केस रिपोर्ट हो चुके थे। ऐसे में ज्योति का भाई शुभम उसे 21 मई को नए अस्पताल लेकर गया, जहां उसे एडमिट कर लिया गया।
ड्यूटी पर रहे कंपाउंडर ने नहीं रखा अपना पक्ष : इस मामले में कंपाउंडर ओमप्रकाश मीणा से बात करने के लिए कई बार कॉल किए और उन्हें मैसेज किए। लेकिन उन्होंने अपना कोई पक्ष नहीं रखा।
मैं तो डरकर बाहर आ गई थी, भाई को कॉल करके जगाया
मैं 21 मई को वहां एडमिट हुई थी। सामने वाले बेड पर लालचंद अंकल थे। 23 मई की शाम करीब 7 बजे से उनकी तबीयत खराब होना शुरू हो गई थी, उन्हें सांस में दिक्कत हो रही थी। एक बार तो वे खुद स्टाफ के पास जाकर बता आए कि मुझे ज्यादा तकलीफ हो रही है, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। फिर वे बेड पर आकर लेट गए। कुछ समय बाद वे बेचैन होने लगे और बार-बार उठते-बैठते, बेड से उतरते और लेटते नजर आए। जब तबीयत ज्यादा बिगड़ती दिखी तो नरेंद्र अंकल (नरेंद्र मेहरा) भी गए और स्टाफ को कहकर आए, लेकिन कोई नहीं आया।
रात को 1 बजे के बाद तो उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी और कुछ देर बाद वे बेड से गिर गए। उस वक्त भी नरेंद्र अंकल ने आवाज लगाई, लेकिन कोई नहीं आया। बाद में मैंने अपने भाई शुभम को कॉल कर पूरी घटना बताई। मैं डरकर बाहर आ गई थी। मेरे भाई ने किसी डॉक्टर को कॉल किया, उसके 10 मिनट डॉक्टर व स्टाफ आए, लेकिन तब तक लालचंद अंकल की मौत हो गई थी। उन्होंने डेड बॉडी को उठाकर बेड पर रख दिया, जहां से सुबह बॉडी उठाई। अब यदि कोई यह कह रहा है कि मरीज को रात में देखा तो वह सौ फीसदी झूठ है, मैंने वहां किसी को नहीं देखा।
ऑडियो रिकॉर्डिंग से खुलासा, बेड से गिरने के बाद काफी देर तक कोई नहीं पहुंचा था मरीज के पास
कोविड वार्ड में भर्ती ज्योति के भाई शुभम ने वह कॉल रिकॉर्डिंग भी पत्रकार को उपलब्ध कराई, जो उस रात के पूरे घटनाक्रम का सच बयां करती है। उसे रात को ज्योति का कॉल आया, फिर उसने उस डॉक्टर को कॉल किया, जिन्हाेंने उनकाे ज्योति की रिपोर्ट निगेटिव आने की सूचना दी थी। पत्रकार की पड़ताल में पता चला कि यह नंबर मेडिसिन विभाग के एक रेजीडेंट का है। इसके बाद शुभम ने फिर से ज्योति को कॉल करके बताया कि मैंने डॉक्टर को बता दिया, वे अभी आ जाएंगे। सुनिए, तीनों कॉल की रिकॉर्डिंग्स में क्या हुई वार्ता-
भैया मैं तो बाहर आकर बैठ गई, अंकल तड़प रहे थे
ज्योति : हां, भैया क्या कर रहे हो
शुभम : टीवी देख रहा था
ज्योति : भैया, मैं तो बाहर आकर बैठ गई, मैं तो नहीं बैठ रही अंदर
शुभम : क्यों?
ज्योति : अरे वह नहीं थे क्या मेरे पलंग के पास एक अंकल जी थे
शुभम : क्या हुआ
ज्योति : अरे वह तो ऐसा लग रहा है, जैसे जाने वाले हैं, पलंग से गिर गए, झाग आ रहे हैं मुंह से
शुभम : वहां कोई नहीं है क्या डॉक्टर वगैरह
ज्योति : बोला था, डर लग रहा है मुझे तो
शुभम : स्टाफ वाला कोई नहीं है क्या, वह नहीं आ रहे क्या देखने
ज्योति : कोई नहीं है
शुभम : अरे नर्स वगैरह कोई नहीं है क्या
ज्योति : कुछ नहीं कर रहे वह तो
शुभम : क्या उनको कोई छू ही नहीं रहा
ज्योति : हां, वे तो उलट-पुलट कर रहे हैं, हालत खराब है उनकी
शुभम : ऐसा कर, तू दूसरी जगह चला जा
ज्योति : अरे यहां बाहर भी खड़ा नहीं होने दे रहे, चलो ठीक है।
ज्योति : अरे कुछ भी नहीं है, वह दो कंपाउंडर हैं, सुनते ही नहीं है, 10 बार तो उनको बोलने जाओ।
वहां किसी नर्सिंग स्टाफ ने नहीं देखा क्या
शुभम : सर, मेडिकल कॉलेज से बोल रहे हैं ना
डॉक्टर : हां
शुभम : सर, वह ज्योति कुमारी है न, मनोचिकित्सा वार्ड में, उसके वार्ड में कोई पेशेंट है, उसकी बहुत ज्यादा तबीयत खराब हो गई है, मुंह से झाग आ रहे हैं, सर एक बार जाकर देख लो, दूसरे पेशेंट भी परेशान हैं।
डॉक्टर : किसको ज्योति को?
शुभम : ज्योति को नहीं सर, उसके पास पेशेंट है उनको...
डॉक्टर : कोरोना पेशेंट है क्या?
शुभम : नहीं, पता नहीं सर, अभी तो सस्पेक्टेड में रखा है।
डॉक्टर : पेशेंट का नाम क्या है
शुभम : पता नहीं सर नाम तो, लेकिन वह ज्योति की बगल में है
डॉक्टर : आप कहां से बोल रहे है
शुभम : सर, मैं तो ज्योति का भाई बोल रहा हूं सर
डॉक्टर : अच्छा... उसका फोन आया होगा आपके पास, ओके
शुभम : हां सर
डॉक्टर : वहां नर्सिंग स्टाफ ने देख लिया होगा ना
शुभम : सर, कुछ नहीं सर, किसी ने कुछ नहीं देखा, सर एक बार आप देख लेंगे तो सही रहेगा सर
डॉक्टर : अच्छा ठीक है।
दो कंपाउंडर हैं, वह सुनते ही नहीं हैं, 10 बार तो बुलाने जाओ
शुभम : हां
ज्योति : हां भैया
शुभम : मैंने डॉक्टर को फोन कर दिया अभी, किसी न किसी को भेजेंगे
ज्योति : तुमने फोन करा है क्या
शुभम : हां, मैंने अभी किया है ना
ज्योति : हां भैया कर दो यार, कोई अंकल जी कह रहे हैं कि पॉजिटिव है ये
शुभम : कोई नर्स वगैरह नहीं आया है क्या?
मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने पुलिस काे अभी तक नहीं दिए औरदस्तावेज
लालचंद मालव की मौत के मामले में मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने न तो पुलिस को अभी तक एपीओ किए गए कर्मचारी के संबंध में दस्तावेज उपलब्ध करवाए और न ही नरेन्द्र मेहरा के खिलाफ कोई सबूत सौंपे। इन दोनों तथ्यों के अभाव में पुलिस जांच दो दिनों से एक कदम भी आगे नहीं बड़ सकी है। जांच अधिकारी एएसआई विष्णु प्रसाद ने बताया कि मेडिकल कॉलेज जैसे ही यह दोनों तथ्य उपलब्ध करवाएगा वो जांच पूरी करके मामले में मुकदमा दर्ज करने अथवा अन्य कानूनी कार्रवाई प्रारंभ करेंगे।
दरअसल, सुरेश मालव ने अपने भाई मृतक लालचंद की मौत के लिए नर्सिंग कर्मचारी ओमप्रकाश पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए पुलिस को शिकायत दी थी। जिस पर मेडिकल प्रशासन ने नर्सिंग कर्मचारी ओमप्रकाश को एपीओ कर दिया था। पुलिस ने मामले में सुरेश व ओमप्रकाश के बयान ले लिए है, लेकिन मेडिकल कॉलेज प्रशासन वो अस्तावेज पुलिस को उपलब्ध नहीं करवा रहा, जिसमें उसे एपीओ किया गया। जिससे आगे की जांच रूक गई है।