सुजानगढ़/चूरू, पिछले साल मई में पिता के निधन के बाद अंतिम यात्रा में मोक्षधाम तक चार किलोमीटर के सफर में कई परेशानियों का सामना करने पर बेटों ने लोगों की सुविधा के लिए मोक्ष वाहन ही तैयार करवा दिया। ये मोक्षवाहन नाथोतालाब स्थित मोक्षधाम को सौंपा है। ये मोक्ष वाहन समिति की स्वीकृति पर कोई भी काम में ले सकेगा। करीब चार किमी अंतिम यात्रा में शामिल लोगों को जगह-जगह टूटी सड़क व पानी-कीचड़ की परेशानी देखने के बाद ऐसे वाहन तैयार करवाना तय किया था।
मंगलवार शाम छापर रोड स्थित अशोक सर्किल के पास हुए कार्यक्रम में विनोद कुमार अग्रवाल, लीलाधर, लंकेश अग्रवाल, बनवारीलाल, नागरमल व चंद्रशेखर ने इस अनूठे मोक्ष वाहन की चाबी मोक्ष धाम की समिति को सौंपी। लंकेश अग्रवाल ने बताया कि पिता सागरमल की अर्थी को घर से नाथोतालाब स्थित मोक्षधाम तक जाने के लंबे सफर में सभी को परेशानी हुई। उसी दिन मन में पीड़ा हुई थी कि उनकी तरह शहर में कितने लोग दूरी व रास्ते खराब होने से परेशानी झेलते होंगे, इसलिए बड़े शहरों की तरह यहां भी सुविधा होनी चाहिए।
वाहन में शव रखने का प्लेटफॉर्म, 10 लोगों के बैठने की सुविधा, मोक्ष धाम को चाबी दी
परिवार के चंद्रशेखर अग्रवाल ने बताया कि प्रेरक गोपाल प्रजापत ने मोक्ष वाहन का आइडिया दिया तो श्रीमाधोपुर में बना मोक्ष वाहन देखा तो उसी तर्ज पर बीदासर में करीब पांच लाख खर्च कर पिकअप गाड़ी का मोक्ष वाहन बनवा दिया। जिसकी लंबाई 17, उंचाई 10 व चौड़ाई 8 फीट है। इसमें बीचों बीच शव रखने के लिए प्लेटफार्म बना है। जिस पर शव रखने के बाद उसे बांधने के लिए बेल्ट लगे हैं। दोनों तरफ 10 व्यक्ति बैठ सकते हैं। वाहन में लगे ऑडियो सिस्टम से जुड़ा लाउडस्पीकर लगाया गया है, जिसमें राम नाम सत्य है, बोलने सहित धार्मिक निर्गुणी भजन दाह संस्कार के लिए शव यात्रा के समय बजेंगे।
कोविड 19 की एडवाइजरी के मुताबिक दाह संस्कार में 20 लोगों की छूट में भी ये वाहन कारगर रहेगा। नाथोतालाब स्थित श्मशान घाट में बाकायदा 24 फीट लंबा व 11 फीट उंचाई वाला पक्का गैराज बनाया गया है। शहर में किसी को भी इसकी जरुरत पड़ने पर बनी चार लोगों की कमेटी के माणक सराफ, महावीर बगड़िया, लंकेश अग्रवाल व पवन दादलिका से संपर्क किया जा सकेगा।
मंगलवार को अशोक सर्किल पर हुए कार्यक्रम में परिजन सोहनलाल, शिवचंद्र, सागरमल व सांवरमल अग्रवाल की स्मृति में बनाए गए नए मोक्ष वाहन को शहर की हिंदू दाह संस्कार समिति को प्रदीप तोदी, विनोद अग्रवाल, लंकेश अग्रवाल आदि ने चाबी सौंपी। संचालन डॉ. घनश्यामनाथ कच्छावा ने किया।