रावतभाटा/चित्तौड़गढ़,पूर्णिमा का चांद के बीच वन्य जीव गणना की परंपरा रही है लेकिन इस बार झमाझम बारिश और बादलों की लुकाछिपी के बीच वन्यजीव कर्मचारियों ने वन्य जीव गणना की। शुक्रवार सुबह 8:00 बजे शुरू हुई वन्यजीव गणना के लिए वन कर्मचारी 1 घंटे पहले ही अपने कार्यस्थल पर पहुंच गए। ठीक 8:00 बजे वन्य जीव गणना शुरू की गई। रात 8:00 बजे तक बादलों की ओट में छुपा हुआ चांद निकल चुका था, चांदनी रात शुरू हो चुकी थी, लेकिन वन्यजीव शाम को कम ही नजर आए।
जैसे-जैसे रात होती गई, वैसे वैसे वन्य जीव पानी की तलाश में वाटर होल पर पहुंचे। उप वन संरक्षक वन्य जीव, कोटा अनुराग भटनागर एवं भैंसरोडगढ़ वन्य जीव अभयारण्य के वन अधिकारी दिनेश नाथ ने बताया कि 24 गणना स्थल बनाए गए। इसमें चार स्थल पर ड्राइव कैमरे लगाए गए और 20 जनों पर वन कर्मी और ग्रामीणों को लगाया गया। अभयारण्य क्षेत्र में अलग अलग पॉइंट पर वन्य जीव देखे गए। जिसमें पैंथर, जरख, लोमड़ी, सियार, नीलगाय का झुंड, खरगोश, सारस, मोर, गिद्ध, मगरमच्छ, पाटागोह, नेवला, आदि नजर आए।
मचान बनाए, 24 घंटे तैनात रहेंगे कर्मचारी
कोरोना संकट के बीच वन्यजीवों की गणना पहली बार हो रही है। 24 घंटे कि यह हार्ड ड्यूटी वन्यजीव कर्मचारी हर साल करने में गर्व महसूस करते हैं। वन क्षेत्र में मचान बनाए गए हैं। वन कर्मचारी 24 घंटे अपने ड्यूटी स्थल पर ही तैनात रहेंगे। वहीं पर भोजन और अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध रहेंगी।
एक घंटे प्रभावित रही वन्यजीव गणना
बारिश के बीच में वन्य जीव गणना 1 घंटे प्रभावित रही। बारिश के दौरान भी मचान और वाटर पॉइंट के आसपास वन कर्मचारी तैनात रहे. वन अधिकारी दिनेश नाथ ने बताया कि बारिश से वन्यजीव गणना प्रभावित तो रही लेकिन इसका गणना पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।