जोधपुर. कोरोना वायरस के चलते प्रदेश के समस्त विश्वविद्यालयों में स्थगित की गई परीक्षाओं को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हुई है, लेकिन प्रमोट करने की छात्र नेताओं में बधाइयां लेने की होड़ मच गई है। स्टूडेंट्स महामारी के नाम पर परीक्षा ना करवाकर प्रमोट करने की मांग परीक्षाएं स्थगित होने के बाद से कर रहे हैं।
गुरुवार को एमएचआरडी मिनिस्टर के एक ट्वीट के बाद छात्र नेताओं को बधाइयाें का सिलसिला शुरू हो गया, लेकिन वास्तविकता यह है कि विवि में कई संस्थाओं से मान्यता प्राप्त कोर्स चल रहे हैं। जब तक उनसे स्वीकृति नहीं मिलती, तब तक स्टूडेंट्स को प्रमोट नहीं किया जा सकता है।
परीक्षाओं को लेकर ऊहापोह की स्थिति बरकरार है। कोरोना संकट चल रहा है और परीक्षाएं होती भी हैं तो सोशल डिस्टेंसिंग के साथ करवानी होगी। विवि प्रशासन को पहले से ज्यादा सेंटर बनाने होंगे। इधर, स्टूडेंट्स कई दिनों से परीक्षा ना करवाकर प्रमोट करने की मुहिम चला रहे हैं।
इनका कहना है कि गत वर्ष के आए नंबरों के आधार पर मूल्यांकन कर इस वर्ष प्रमोट कर देना चाहिए। विवि प्रशासन का कहना है कि यह व्यवहारिक नहीं है। जो मेहनती है, उनके साथ अन्याय होगा। फिर भी सरकार के जो निर्देश आएंगे उसी के अनुसार आगे काम करेंगे।
सरकार के साथ अगली बैठक में निर्णय
राज्य सरकार के साथ शुक्रवार को टास्क फोर्स की बैठक होनी थी, जो आवश्यक कारणों के चलते नहीं हो पाई। अब परीक्षाओं के मद्देनजर आगामी बैठक में निर्णय होगा कि स्टूडेंट्स प्रमोट होंगे या परीक्षा देंगे?
संस्थाओं को भी करना होगा राजी चूंकि विवि में यूजी और पीजी के कोर्स संचालित होते हैं।
उसके अलावा इंजीनियरिंग और लॉ कोर्स भी चलते हैं। इन कोर्सेज के लिए एआईसीटीई और बीसीआई सरीखी राष्ट्रीय संस्थाओं से भी अनुमति लेनी होगी। उनके बगैर प्रमोट करना संभव नहीं है। ऐसे में सरकार के निर्देश मिलने के बाद भी संस्थाओं से स्वीकृति लेनी होगी।
अभी तक कोई निर्देश नहीं
- परीक्षाओं के मद्देनजर कोई निर्णय नहीं हो पाया है। हम सरकार के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं। शेष रही परीक्षाएं रद्द कर अगली कक्षा में प्रमोट करने के संबंध में फिलहाल कोई निर्णय नहीं हुआ है।