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रविवार, 7 जून 2020

बिना संसाधन टिड्‌डी नियंत्रण की तैयारियों में जुटा कृषि विभाग, राज्य सरकार ने बजट ही नहीं दिया

बिना संसाधन टिड्‌डी नियंत्रण की तैयारियों में जुटा कृषि विभाग, राज्य सरकार ने बजट ही नहीं दिया
 हनुमानगढ़,खरीफ सीजन शुरू होते ही टिडिडयों ने फसलों पर कहर बरपाना शुरू कर दिया है। जिले के हजारों किसान एक बार इसका प्रकोप झेल चुके हैं। दोबारा टिड्‌डी दल कभी भी पहुंच सकता है। नियंत्रण को लेकर कृषि विभाग अपने स्तर पर पूरी तैयारी का दावा कर रहा है, लेकिन हकीकत इसके विपरीत है। राज्य एवं केंद्र सरकार ने टिड्‌डी नियंत्रण को लेकर अभी तक बजट तक जारी नहीं किया है।
यहां तक की टिडिडयों पर काबू पाने के लिए किसानों को कीटनाशक तक उपलब्ध नहीं करवाया जा रहा। हालांकि विभागीय अधिकारी कीटनाशक का स्टॉक पूरा होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन सरकार की गाइडलाइन के अनुसार वे टिड्‌डी आने के बाद ही नियंत्रण के लिए किसानों को दे रहे हैं।
इसके साथ किसानों से ही अपील की जा रही है कि वे टिड्‌डी नियंत्रण के लिए ट्रैक्टर, स्प्रेयर, टैंकर आदि की व्यवस्था रखें। जबकि इस बार खरीफ सीजन में टिड्‌डी बड़ी तबाही मचा सकती है। इंडो-पाक बॉर्डर से बड़ी संख्या में टिडिडयों के झुंड भारत में प्रवेश कर सकते हैं। इस स्थिति में टिड्‌डी दल पर नियंत्रण को लेकर किसानों को अपने हाल पर छोड़ना चिंता का विषय है।
काश्तकारों का कहना है कि हनुमानगढ़ एवं श्रीगंगानगर कृषि प्रधान जिला है। इस बार इंदिरा गांधी नहर परियोजना में 70 दिन की बंदी टलने के कारण किसानों ने उपयुक्त समय में नरमा की बिजाई कर दी।
जिले में पौने दो लाख हैक्टेयर में नरमे की हुई बिजाई, टिड्‌डी से इसी फसल को ज्यादा खतरा
जिले में आईजीएनपी व भाखड़ा क्षेत्र में करीब पौने दो लाख हैक्टेयर में नरमा की बिजाई हो चुकी है। अब हरियाली से खेत लहलाने लगे हैं। इसी फसल को टिड्‌डी ज्यादा नुकसान पहुंचा सकती है। टिड्‌डी दल आने की आशंका और सरकार स्तर पर नियंत्रण की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है। उनका कहना है कि कृषि विभाग के अधिकारी सिर्फ अलर्ट ही कर रहे हैं। उनसे संसाधनों की बात करते हैं तो अपने स्तर पर तैयारी की बात कही जा रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि फसलों को टिड्‌डी के प्रकोप से बचाने के लिए कितनी गंभीर है।
पहली बार टिड्‌डी ने 5 हजार हैक्टेयर में खड़ी नरमा की फसल को किया नष्ट
मई के अंतिम सप्ताह में जिले में टिडिडयों के चार झुंड आए थे। कृषि विभाग की ओर से किसानों की मदद से काफी हद तक स्थिति पर काबू पा लिया गया। इसके बावजूद करीब पांच हजार हैक्टेयर में खड़ी नरमा की फसल टिड्‌डी के प्रकोप से नष्ट हो गई। अब राजस्व व कृषि विभाग की संयुक्त टीम सर्वे कार्य में जुटी हुई। किसान दुबारा बिजाई कर रहे हैं। अगर दुबारा टिड्‌डी दल आया तो बड़े स्तर पर फसलों का नुकसान हो सकता है।
सरकार की गाइडलाइन- टिड्‌डी आने के बाद ही किसानों को उपलब्ध करवाएं कीटनाशक
ट्रैक्टर, स्प्रेयर और पानी के टैंकर की व्यवस्था किसान अपने स्तर पर कर सकते हैं। प्रत्येक गांव में सैकड़ों किसानों के पास खुद के ट्रैक्टर हैं, लेकिन कीटनाशक कृषि विभाग द्वारा सरकार की गाइडलाइन का हवाला देते हुए टिड्‌डी आने के बाद ही उपलब्ध करवाया जाता है। सरकार की गाइडलाइन आग लगने के बाद कुआं खोदने वाली कहावत चरितार्थ कर रही है।
किसानों के अनुसार टिड्‌डी जहां भी बैठ गई वहां 5 से 10 मिनट में फसल चट कर सकती है। ऐसे में जब तक विभागीय अधिकारी कीटनाशक लेकर पहुंचेंगे तब तक फसल नष्ट हो जाएगी। इस बार टिड्‌डी का प्रकोप ज्यादा रहने की आशंका है। ऐसे में कृषि पर्यवेक्षकों की सहायता से प्रत्येक किसान को फसल की बिजाई के अनुरूप कीटनाशक उपलब्ध करवाना चाहिए ताकि टिड्‌डी आने पर काश्तकार तुरंत छिड़काव शुरू कर स्थिति पर काबू पा सके।

बिना संसाधन टिड्‌डी नियंत्रण की तैयारियों में जुटा कृषि विभाग, राज्य सरकार ने बजट ही नहीं दिया
पाकिस्तान में बड़ी संख्या में हो रहा टिडिडयों का प्रजनन...
भारत-पाकिस्तान सीमा के नजदीक पाक में बड़ी संख्या में रेगिस्तानी टिड्‌डी का प्रजनन हो रहा है। इस प्रजाति की खासियत है कि यह समूह में उड़ान भरने के बाद लंबी दूरी तय कर सकती है। ऐसे में पाक से भारत में बड़ी संख्या में टिड्‌डी दल आने की आशंका है।
मई के अंतिम सप्ताह में कई झुंड राजस्थान में आए थे। अब दूसरी बार कभी भी बड़ी संख्या में टिडिडयों के दल राजस्थान में आ सकते हैं। इसको लेकर सरकार तैयारियों का दावा भी कर रही है, लेकिन जितनी खतरे की आशंका है उसके मुकाबले तैयारी नहीं है। यही चिंता किसानों को सता रही है।
  • सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ही टिड्‌डी नियंत्रण के लिए किसानों को कीटनाशक उपलब्ध करवाया जा रहा है। सरकार के निर्देशानुसार ट्रैक्टर, स्प्रेयर, टैंकर आदि की सूची तैयार की गई है। किसानों को नियंत्रण के लिए जागरूक किया जा रहा है। फील्ड स्टाफ को भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। दानाराम गोदारा, उपनिदेशक कृषि (विस्तार), हनुमानगढ़