राजस्थान.मोदी सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 को मंजूरी दे दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में 21वीं सदी की नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी गई। यह बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि 34 सालों से शिक्षा नीति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ था लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस शिक्षा नीति के निर्माण में राजस्थान सरकार की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। राजस्थान सरकार की ओर से भी नीति निर्माण के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए थे जिन्हें इस नीति में शामिल किया गया है। आइए हम आपको बताते हैं कौनसे हैं वह महत्वपूर्ण सुझाव जो राज्य सरकार की ओर से दिए गए थे और जिन्हें इस नीति में शामिल किया गया है:
: शिक्षकों को चुनाव के अलावा अन्य गैर शैक्षिक कार्यों में नहीं लगाया जाए।
: प्राइमरी शिक्षा आंगनबाड़ी एवं विद्यालयों के माध्यम से, प्रशिक्षित शिक्षकों के जरिए ही दी जाए।
:आरटीई का दायरा जो कि एक से 14 वर्ष का था, को बढ़ाकर 1 से 18 वर्ष तक किया जाए
: टेट परीक्षा प्राथमिक शिक्षकों के साथ, सैंकेड ग्रेड के शिक्षकों के लिए भी अनिवार्य की जाए
: नई शिक्षा नीति में शिक्षक स्थानांतरण नीति बनाने की बात की गई है, जिसपर राजस्थान सरकार सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ओंकार सिंह की अध्यक्षता में समिति बना कर कई राज्यों की स्थानांतरण नीति का अध्ययन कर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था।
: कक्षा 1 से 12वीं तक शिक्षा का ढांचा 5़3़3़4 प्री प्राइमरी से दूसरी तक 5 वर्ष, कक्षा 3 से 5 तक 3 वर्ष, कक्षा 6 से 8 तक 3 वर्ष एवं कक्षा 9 से 12 तक 4 वर्ष के कोर्स डिजाइन किए जाएं।
कई मुद्दों पर पुनर्विचार किया जाए
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 का प्रदेश के शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकार की ओर से भेजे गए महत्वपूर्ण सुझावों को शामिल किया है। इन सब के बावजूद अभी भी नई शिक्षा नीति को मंजूरी दे देने के साथ ही कई मुद्दे हैं, जिन पर केंद्र को विचार कर राज्यों की राय पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि उनका प्रधानमंत्री जी से आग्रह है कि बिना किसी राजनैतिक भेदभाव के राजस्थान जैसे विविधताओं से भरे राज्यों की भौगोलिक आवश्यकताओं के अनुसार वित्तीय सहायता प्रदान किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019, जो मूलत राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 पर आधारित है, के अधिकांश प्रावधान सही एवं उचित हैं लेकिन शिक्षक भर्ती में साक्षात्कार का प्रावधान भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला सिद्ध होगा। हर स्कूल में विज्ञान, गणित विषय की उलब्धता के लिए कहा गया है लेकिन इस हेतु वित्तीय प्रावधान करना राजस्थान जैसे बड़े राज्य के लिए संभव नहीं है। इसी प्रकार मूलभूत संरचनाओं व संसाधनों के विकास के लिए शैक्षिक एवं आर्थिक दृष्टि से पिछड़े राज्यों जिनमें राजस्थान भी शामिल है के लिए विशेष वित्तीय अनुदान की व्यवस्था की बहुत आवश्यकता थी जो नहीं की गई हैं। पूर्व प्राथमिक शिक्षा राजस्थान में 37444 आंगनवाड़ी केन्द्र एवं विद्यालयों में की जानी है , इसके लिए भी केन्द्र सरकार द्वारा वित्तीय सहायता का उल्लेख नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में नई शिक्षा नीति को लागू किया जाना अत्यंत कठिन हो जाएगा।