जैन समाज की ओर से संवत्सरी पर्व शनिवार को विभिन्न स्थानों एवं मंदिरों में सोशल डिस्टेंस के साथ सादगीपूर्ण तरीके से मनाया गया। शनिवार शाम को प्रतिक्रमण के बाद जैन समुदाय के लोगों ने पिछले एक साल में जाने-अनजाने में मन, वचन, कर्म से हुई भूलों के लिए क्षमा याचना यानी मिच्छामि दुक्कड़म व खमत खामणा की। इसी के साथ पर्युषण महापर्व भी संपन्न हुआ। शहर के 45 से अधिक स्थानों में पर्युषण महापर्व का आयोजन हुआ। इस बार जैन समाज के लोगों ने सोशल मीडिया के माध्यम से और फोन करके एक-दूसरे के प्रति क्षमा याचना की।
संत बोले- क्षमा में ही धर्म और मोक्ष का निवास
संबोधि धाम में ऑनलाइन पर्युषण पर्व प्रवचनमाला के 8वें दिन संत चंद्रप्रभ सागर महाराज ने कहा कि धन, पद या उम्र से व्यक्ति बड़ा नहीं होता। बड़ा वही है जो क्षमा मांगने व क्षमा करने के लिए दो कदम आगे बढ़ा देता है। महावीर भवन में कमलमुनि कमलेश ने कहा कि क्षमा में धर्म और मोक्ष का निवास है। क्षमा लेने और देने पर दोनों की आत्मा निर्मल और पवित्र बन जाती है।
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