राजस्थान के सियासी संकट से सबसे अधिक नुकसान भाजपा काे हुआ। विधानसभा में 14 अगस्त काे विश्वास मत साबित करने वाले दिन बीजेपी के चार सदस्याें ने बीच कार्यवाही में ही सदन छाेड़ दिया था। बीजेपी ने उस दिन दाेपहर सभी विधायकाें काे सदन में बने रहने के लिए व्हिप भी जारी किया था, इसके बावजूद विधायक सदन छाेड़कर चले गए थे। एक गुट के प्रभाव में ऐसे विधायकाें पर भाजपा एक्शन लेने के मूड में नहीं है। हालांकि इससे भाजपा की गुटबाजी और अंतर्कलह सतह पर आ गई है।
मत विभाजन हाेता ताे विपक्ष में 75 की जगह 71 वाेट पड़ते
विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पर बीजेपी डिवीजन मांगती ताे बीजेपी के 75 की जगह 71 ही वाेट पड़ते। ऐसा इसलिए क्योंकि बीजेपी के चार विधायक सदन में पहुंचे थे लेकिन एक-दाे घंटे बाद सदन छाेड़कर चल गए थे। इनमें से कुछ ने अपना फाेन तक ऑफ कर लिया था, उधर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठाैड़ ने इनसे संपर्क साधने में जुटे हुए दिखे लेकिन इनसे काेई संपर्क नहीं हाे सका।
आदिवासी बेल्ट के ये चार विधायक
गोपीचंद मीणा आसपुर, गौतम मीणा धारियाबाद, हरेंद्र निनामा घाटाेल व कैलाश मीणा गढ़ी।
11 विधायकाें ने नहीं मानी थी गुजरात जाने की बात
बीजेपी नेताओं में गुटबाजी है और अलग-अलग खेमे बने हुए हैं। पिछले दिनाें सियासी संकट के दाैरान 30 विधायकों काे गुजरात भेजा जाना था, लेकिन 11 विधायकों ने जाने से इंकार कर दिया था। 18 ही बाहर जा सकें थे। प्रदेश संगठन की बात नहीं मानने पर इसकी रिपाेर्ट केंद्रीय आलाकमान काे भेजी गई थी।