महाआरती
अलसुबह 4:15 बजे 108 दीपों से (मसूरिया मंदिर में पुजारी सहित पांच लोग ही करेंगे)
ध्वजाराेहण- 11:15 बजे
बाबा बीज पर हर साल अाधी रात शहर बाबा के मंदिर की ओर उमड़ पड़ता था, ताकि अलसुबह हाेने वाली मंगला आरती में शामिल हाे सके। इस दौरान मसूरिया क्षेत्र में पैर रखने की जगह नहीं बचती और पुलिस काे भी कंट्रोल करना भारी पड़ता था।
मसूरिया स्थित लोकदेवता बाबा रामदेव के गुरु बालीनाथ की समाधि स्थल पर गुरुवार काे ना चहल-पहल होगी ना ही श्रद्धालुओं की कतार। होगी तो केवल अलसुबह 4:15 बजे 108 दीपक से महाआरती होगी। वह भी केवल पांच लोगों की उपस्थिति में, क्योंकि कोरोना वायरस के चलते पुलिस और प्रशासन ने मंदिर ट्रस्ट और पुजारी सहित पांच लोगों को ही आरती की अनुमति दी है। श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर तक जाने की अनुमति नहीं है। बैरिकेड लगाकर रास्ते बंद कर दिए गए हैं। ऐसे में भास्कर ने मंगला आरती के दर्शन करवाने के लिए यह फोटो किया है। मारवाड़ के महाकुंभ कहे जाने वाले इस मेले में शामिल होने की जगह घर पर ही पूजा की जा सकेगी। भक्त घरों में ही पचरंगी ध्वजा और लीला घोड़ा चढ़ाकर पारंपरिक व्यंजन खीर-लापसी, पूड़ी-सब्जी का भोग लगाएंगे। गोटे की ज्योत जगाई जाएगी। साथ ही रूणेचा के धणी के भजन भी गाए जाएंगे। इस मौके पर शहर के भीतरी भाग स्थित आडा बाजार रामदेव मंदिर सहित तमाम छोटे-बड़े मंदिरों में पुजारियों द्वारा रामदेवजी की पूजा-अर्चना की जाएगी। श्री पीपा क्षत्रिय समस्त न्याति सभा ट्रस्ट जोधपुर मसूरिया मंदिर के अध्यक्ष नरेंद्र चौहान, सचिव मफतलाल राखेचा व कोषाध्यक्ष पुरुषोत्तम राखेचा ने बताया कि सुबह 11:15 ध्वजारोहण किया जाएगा।
मसूरिया क्षेत्र में प्रवेश पर पाबंदी
राजस्थान, मध्यप्रदेश, गुजरात सहित विभिन्न राज्यों से आने वाले भक्तों को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। प्रशासन ने बैरिकेड्स लगाकर इन रास्तों को रोक दिया है, लेकिन बाबा के भक्तों की आस्था इतनी गहरी है। वे उस जमीन को ही चूमकर स्वयं काे कृतार्थ मान रहे हैं।
रामापीर से जुड़े रोचक तथ्य
भाद्रपद शुक्ल द्वितीया बाबा बीज के नाम से पुकारी जाती है। रामदेवजी के अवतार की तिथि के रूप में प्रचलित है।
रामदेवजी एकमात्र ऐसे देवता हैं, जो कवि भी थे। इनकी रचना चौबीस वाणियां बहुत प्रसिद्ध हैं।
लोक देवताओं में सबसे लंबे गीत बाबा रामदेवजी के हैं।
मेले का आकर्षण तेरहताली नृत्य होता है। कामडिया जाति की महिलाएं तेरहताली नृत्य में निपुर्ण होती हैं। बाबा ने कामडिया पंथ चलाया था।
बाबा के मंदिर रामदेवरा व मसूरिया के अलावा बिराटियां, चितौड़गढ़ सूरताखेड़ा, गुजरात के छाेटा रामदेवरा में भी हैं।
रामदेवजी के नाम पर भाद्रपद द्वितीया व एकादशी को रात्रि जागरण किया जाता है। उसे जम्मा कहते हैं।
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