यहां डेड बॉडी रखने के लिए मोर्चरी छोटी पड़ रही है और राेज रात को जयपुर से जारी होने वाली सरकारी रिपोर्ट कहती है-आज कोटा में कोरोना से सिर्फ एक या दाे मौत हुई हैं। इस झूठ को बेनकाब करने के लिए भास्कर ने कोटा में कोरोना से हुई मौतों के पिछले 6 दिन के आंकड़े जुटाए।
मुक्तिधाम, कब्रिस्तान और अस्पताल की मोर्चरी के आंकड़ाें की पड़ताल करने के साथ ही भास्कर ने मृतकों के परिजनों से भी बात की। जो सच सामने आया, वह आंखें खोल देने वाला था। पता चला कि इन छह दिनों में नए अस्पताल स्थित कोविड वार्ड में 46 कोरोना संक्रमित मरीजों की मौतें हुई, जिनमें से 26 कोटा के थे।
चौंकने वाली बात ये है कि सरकारी रिपोर्ट के हिसाब से इन छह दिनों में सिर्फ 7 मौतें बताई गई हैं। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि कोविड की मौतें रिपोर्ट नहीं हो। क्योंकि इसमें डेड बॉडी का निस्तारण कोविड प्रोटोकॉल के हिसाब से होता है। बाकायदा संबंधित उपखंड मजिस्ट्रेट को भी सूचना दी जाती है।
अंतिम संस्कार या दफनाने की कार्यवाही प्रशासन की निगरानी में हो रही है। इसके बावजूद सरकारी रिपोर्ट में रोजाना झूठा आंकड़ा दिया जा रहा है।
लाडपुरा एसडीएम मोहनलाल प्रतिहार ने कहा कि हम रोज कोविड की डेड बॉडी का निस्तारण करवा रहे हैं। आज शाम तक का मुझे पता है कि 7 डेड बॉडी की सूचना हमारे पास आई थी, ये सभी कोटा के थे।
दो-तीन तो रोजाना आ रही हैं। पिछले 10 दिन में मौतें ज्यादा हुई है। वैसे इसका रिकॉर्ड आपको मेडिकल कॉलेज से मिल जाएगा।
जयपुर से जारी रिपोर्ट से स्पष्ट है कि काेराेना नहीं, इसके आंकड़ाें काे कंट्रोल करने की है पूरी कवायद
कोटा में 29 अगस्त को 711 मरीज आए, ताे जयपुर तक हल्ला मचा। अगले दिन से कोटा में स्थानीय स्तर पर कोविड के आंकड़ाें की जानकारी देने पर पाबंदी लगा दी गई। तभी से कोटा की रिपोर्ट जयपुर से ही जारी हो रही है। जयपुर से जारी हो रही इस रिपोर्ट पर शायद ही कोई भरोसा करे, क्योंकि इसके हिसाब से कोटा में कोरोना पूरी तरह कंट्रोल है।
अब आंकड़ों से समझिए कि कोटा से जब रिपोर्ट जारी हो रही थी तो क्या हाल था और जयपुर से रिपोर्ट जारी होने लगी तो क्या हाल है? आपको लगेगा, जैसे जयपुर में बैठे अफसरों के हाथ जादू की छड़ी लग गई, जिससे उन्होंने कोटा में कोरोना कंट्रोल कर दिया।
इस सिस्टम के 3 बड़े नुकसान
1. स्टेट टेबल में सभी जिलों की डिटेल्स होती है। ये टेबल अधूरी होती है और लोकल रिपोर्ट से कभी केस मैच नहीं होते। स्थानीय स्तर पर ज्यादा मरीज की रिपोर्ट जारी हाेती है और जयपुर वाली टेबल में कम मरीज होते हैं। इससे गंभीरता का अनुमान न तो सरकार को लगेगा और न आमजन को।
2. लोकल रिपोर्ट में उम्र व एरियावाइज सूचना होती थी, जिससे लोगों को कम से कम यह पता लग जाता था कि उनके मोहल्ले में मरीज आए हैं या फलां ऑफिस या बैंक में मरीज निकले हैं। अब स्टेट से जारी होने वाली रिपोर्ट में सिर्फ संख्या होगी कि कोटा में इतने मरीज आए और इतनी मौतें हुई? ऐसे में लोगों को यह भी पता नहीं लग सकता कि उनके आसपास कोई मरीज आया क्या?
3. अधिकारियाें के आंकड़े छिपाने की आशंका काे नकारा नहीं जा सकता। पिछले कुछ दिनों से स्टेट रिपोर्ट और लोकल रिपोर्ट में बहुत अंतर आ रहा है। आमजन नहीं समझ पा रहा कि जयपुर वाली रिपोर्ट में केस इतने कम क्यों हो जाते हैं। इसे लेकर तर्क दिए जाते हैं कि रात के केस अगले दिन जोड़े जाते हैं, लेकिन वह भी नहीं हो रहा। ऐसे में अंडर रिपोर्टिंग की संभावनाएं बढ़ जाएगी।
आंकड़े छिपाने का विरोध विभागीय स्तर पर भीसूत्रों की मानें तो कोविड रिपोर्टिंग पर राज्य सरकार की इस सेंसरशिप का कई सीएमएचओ विरोध कर चुके हैं। एक सीएमएचओ वीसी में इस पर मुखर हो चुके, जबकि एक ने विभाग के अधिकृत वाट्सएप ग्रुप पर इसे लेकर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि इससे लोगों के बीच हम झूठे साबित हो रहे हैं। साथ ही यदि भविष्य में इससे जुड़े लीगल कॉप्लिकेशन हुए तो जिम्मेदार सीएमएचओ को ठहरा दिया जाएगा, जबकि हमारी कोई गलती ही नहीं है। हम स्टेट को वास्तविक रिपोर्ट भेज रहे हैं, लेकिन वहां से पता नहीं, क्या रिपोर्ट जारी हो रही है?
बीते सप्ताह में कई बार कम पड़ी मोर्चरी में जगह, बाहर स्ट्रेचर पर रखने पड़े शव : एक सप्ताह में कई बार कोविड मोर्चरी शव ज्यादा होने से छोटी पड़ गई। सूत्रों ने बताया कि कुछ दिनों में ऐसे कई मौके आए, जब एक साथ ज्यादा डेड बॉडी हो गई। ऐसे में नए शवों को बाहर स्ट्रेचर पर घंटों तक रखना पड़ा। बाहर के शवों को लेने के लिए वहां के प्रशासन को आने में समय लगता है, ऐसे में कई बार ज्यादा डेड बॉडी एक साथ हो गई।
नए अस्पताल में कोरोना से कब-कितनी मौतें
30 अगस्त : कोटा के 4, बूंदी के 2, बारां के 1 व रावतभाटा के 1 मरीज की मौत हुई।
31 अगस्त : कोटा के 5, बूंदी के 2, बारां के 2, सवाईमाधोपुर के 1, झालावाड़ के 1 व रावतभाटा के 1 मरीज की मौत हुई।
1 सितंबर : कोटा के 3, बूंदी के 1 व बारां के 1 मरीज ने दम तोड़ा।
2 सितंबर : कोटा के 3, बूंदी के 1 व बारां के 2 मरीजों की मौत हुई।
3 सितंबर : कोटा के 3, बारां के 3 व अजमेर के 1 मरीज की मौत हुई।
4 सितंबर : रात 10 बजे तक कोटा के 8 मरीजों की मौत हो चुकी थी।
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