नगर निगम की टीम किसी भी बिल्डिंग को सीज तो कर सकती है, लेकिन उसे सीज मुक्त करने का पावर हाईकोर्ट ने सिर्फ डीएलबी काे ही दे रखा है, लेकिन शहर में इन्हीं नियमों को धत्ता बताकर इमारतें खोलने का खेल चल रहा है। ऐसे ही एक खुलासा शुक्रवार को तब हुआ, जब एसीबी की टीम ने दक्षिण निगम की अतिक्रमण अवज्ञा कमेटी के डीओ बाबू को एक लाख की रिश्वत लेते रंगेहाथ गिरफ्तार किया।
बाबू ने एक लाख के बदले सीज इमारत को खुलवाने का सौदा किया था। इस मामले में कुछ पत्रकारों की भूमिका भी सामने आ रही है। इनसे साठगांठ कर निगम के कुछ कर्मचारी पहले इमारत को सीज करने की धमकी देते हैं और राशि नहीं मिलने पर शिकायत लेकर सीज की कार्रवाई करते हैं।
डीआईजी (एसीबी) डॉ. विष्णुकांत ने बताया कि बिड़ला स्कूल के सामने आरके नगर निवासी ताराचंद पुत्र रामकुमार की ओर से शिकायत दी गई थी। इसमें बताया गया कि बोम्बे मोटर्स-बारहवीं रोड चौराहा के बीच प्लॉट संख्या 90 पर कार डेकोरेशन की दुकान है, जिसमें निर्माण कार्य चल रहा था।
इसे सीज मुक्त करने की एवज में निगम दक्षिण का डीओ बाबू चंद्रजीत हंस पुत्र जितेंद्र हंस दो लाख रुपए की रिश्वत मांग रहा है। इस पर एएसपी (एसीबी-सिटी) नरेंद्र चौधरी की टीम ने शिकायत का सत्यापन कराया, तो इसमें भी पहले दो लाख और बाद में एक लाख में सौदा किए जाने की पुष्टि हुई।
टीम ने शुक्रवार शाम को ट्रेप प्लान किया। आरोपी चंद्रजीत के कहने पर दलाल उदयमंदिर निवासी मो. जाहिद पुत्र मो. रज्जाक कार डेकोरेशन की दुकान पर रिश्वत की राशि लेने पहुंचा और एक लाख रुपए लेकर चंद्रजीत से फोन पर बात की। चंद्रजीत ने मो. जाहिद को रिश्वत राशि लेकर सोजती गेट बुलाया। इस बातचीत का सत्यापन कर एसीबी के इंस्पेक्टर मनीष वैष्णव की टीम ने चंद्रजीत को भी गिरफ्तार कर लिया।
कुछ दिन पहले ही दक्षिण निगम में लगा था, आते ही शुरू कर दिया खेल
अनुकंपा नियुक्ति पर नौकरी पाने वाला चंद्रजीत हंस कुछ समय पहले ही निगम दक्षिण में डीओ बाबू के पद पर लगा था। पहले वो बलदेव नगर में तैनात था और वहां से मुख्यालय ट्रांसफर किया गया था। यहां लगने आते ही उसने दलालों के मार्फत बिल्डिंगें सीज करने व उन्हें खोलने का जुगाड़ शुरू कर लिया था।