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रविवार, 27 सितंबर 2020

हर साल पैच वर्क पर खर्च करते हैं 32 कराेड़, फिर भी खराब क्वालिटी के कारण बारिश में बह गईं 4000 किमी सड़कें

राज्य सरकार में अभी हाड़ाैती संभाग का अच्छा प्रतिनिधित्व है। काेटा से शांति धारीवाल के पास यूडीएच जैसा महत्वपूर्ण विभाग है, ताे बारां से प्रमाेद जैन भाया खान मंत्रालय संभाल रहे हैं। बूंदी के युवा नेता अशाेक चांदना के पास खेल राज्य मंत्री का चार्ज है। माना जाता है कि इतने कद्‌दावर मंत्रियाें के हाेने से हाड़ाैती के जिलाें में बुनियादी सुविधाओं की कमी नहीं हाेनी चाहिए। बारिश का माैसम गुजरा ही है, ताे दैनिक भास्कर ने सबसे पहले तीनाें मंत्रियाें के जिलाें में सड़काें के हालात चेक किए।

सामने आया कि संभाग में हर साल करीब 32 कराेड़ रुपए केवल सड़काें पर पैबंद लगाने में ही बर्बाद हाे जाते हैं। भास्कर के रिपोर्टर्स कई इलाकों में गए, तो काेटा से लेकर हाड़ाैती से गुजर रहे हाईवे और गांवाें काे शहर से जाेड़ने वाली सड़कें चलने लायक नहीं बची हैं। काेटा शहर से लेकर संभाग के चाराें जिलाें में पीडब्ल्यूडी, नगर निगम व यूआईटी की 12 हजार किलाेमीटर सड़कें हैं, जिनमें से 4 हजार किलाेमीटर से अधिक सड़कें इस बारिश में खराब हाे चुकी हैं।

पहले ठेकेदार फर्म से सड़काें की गारंटी नहीं ली जाती थी, लेकिन अब 3 साल के लिए उसकी लायबिलिटी फिक्स कर दी जाती है। इन तीन वर्षाें में जितनी बार सड़क खराब हाेगी, उसे उसी फर्म द्वारा बनवाया जाएगा। यदि मरम्मत याेग्य है ताे मरम्मत करेगा। इन 3 सालाें के लिए बैंक गारंटी रखी जाती है।

यदि इस दाैरान वाे सड़क की मरम्मत करने अथवा दाेबारा बनाने से इंकार करता है ताे गारंटी जब्त करने से लेकर उसे ब्लैक लिस्टेड करने तक की कार्रवाई कर सकता है।
अब बनेंगी पैच वर्क की याेजनाएं : सरकारी नियमाें में 20 सितंबर काे बारिश खत्म हाेने के बाद सड़काें की मरम्मत की याेजनाएं बनना शुरू हाे जाती हैं। अक्टूबर-नवंबर तक ये सड़कें ठीक हाे पाती हैं। बमुश्किल 6-7 माह सड़कें सही रहती हैं और फिर बारिश शुरू हाेने के बाद सड़कें फिर उखड़ जाती हैं। खराब सड़काें की वजह से हादसे भी हाेते हैं। अधिकांश हादसे ताे केवल सड़क के गड्‌ढाें में गिरने या उनसे बचने के चक्कर में हाेते हैं। हाड़ाैती के चाराें जिलाें में सड़काें की हालत पर पढ़ें ग्राउंड रिपाेर्ट :

काेटा : 950 किलाेमीटर सड़कें उखड़ीं, मरम्मत पर खर्च हाेंगे 10 कराेड़

साइड इफेक्ट : इस साल जिले में हुए 215 सड़क हादसे, इनमें 33 माैत, 216 घायल

शहर से लेकर जिले तक में सड़काें की हालत ठीक नहीं है। शहर में दादाबाड़ी, तलवंडी, महावीर नगर, गाेबरिया बावड़ी, ऑटाेमाेबाइल जाेन, जवाहर नगर, थर्मल से रेलवे ब्रिज और नयापुरा इलाकाें की सड़कें ज्यादा खराब हैं। वहीं शहर की सीमा खत्म हाेते ही हालात बदतर हाे जाते हैं। धाकड़खेड़ी से कैथून की 5 किमी की सड़क पार करने में पूरा शरीर हिल जाता है।

झालीपुरा से खेडली पाड्या के बीच ताे गड्ढाें में सड़क तलाश करनी पड़ती है। कैथून कस्बे में ही बस स्टैंड पर सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढे हाे रहे हैं। काेटा-सांगाेद व काेटा-बारां राेड की हालत भी खराब है। शहर की सड़काें की मरम्मत पर यूआईटी व नगर निगम मिलाकर 4.50 से 5.50 कराेड़ रुपए तथा जिले की सड़काें पर पीडब्ल्यूडी द्वारा 5 कराेड़ रुपए हर साल खर्च किए जाते हैं।
बूंदी : पगडंडी से भी बदतर हाईवे, 9 कराेड़ खर्च हाेंगे मरम्मत पर

इस वर्ष 279 सड़क हादसाें में 116 की माैत, 249 घायल

जिले में 1056 किमी सड़कें उखड़ चुकी हैं। हाईवे से लेकर हिंडाैली तक जर्जर सड़कें हैं। पिछले साल 26 फरवरी काे मेज नदी दुखांतिका भी सिंगल पुलिया के कारण हुई थी, जिसमें 24 की माैत हाे गई थी। बूंदी-नैनवां स्टेट हाईवे-34 की हालत पगडंडी से भी बदतर है। नेशनल हाईवे-52, देवली-हिंडाैली राेड से लेकर गांवाें काे जाेड़ने वाली सड़कें भी खराब हाे रही हैं। हाईवे की हालत ये है कि दाे पहिया वाहन भी नहीं चल सकते।

बारां : ठीक करने का प्लान ही नहीं, सालाना 6 कराेड़ का खर्चा

जिले में 400 सड़क हादसाें में 700 घायल हुए, 120 माैतें

जिले के जिन क्षेत्राें में अच्छी बारिश हुई है, वहां की सड़कें ज्यादा खराब हैं। शाहबाद-किशनगंज राेड पर कई जगह भयानक गड्ढे हैं। शाहबाद-मुंगावली राेड और बारां-काेटा राेड की हालत खराब हाे रही है। शाहबाद राेड पर पुलिया उखड़ी पड़ी है। मांगराेल- बंबाेरी कला व अटरू राेड भी खराब हाे रहा है। यहां कुल मिलाकर 1021 किमी सड़कें खराब हैं।
झालावाड़ : 1099 किमी सड़कें खराब, 8 कराेड़ से होगा पैच वर्क

जिले में हर साल 600 हादसे, 100 से ज्यादा गंवा देते हैं जान

झालावाड़ शहर में खेल संकुल से लेकर सुभाष सर्किल तक तथा निर्भय सिंह सर्किल से बस स्टैंड के बीच ढाई साल पहले बनी सीसी राेड उखड़ गई है। अभी इनका गारंटी पीरियड भी पूरा नहीं हुआ है। इसी तरह जिले में भालता से बकानी वाली सड़क की हालत ताे इतनी खराब है कि दाे पहिया वाहन ताे उस पर चल ही नहीं सकता है। खानपुर से बारां राेड भी गड्ढाें से अटी पड़ी है। मनाेहरथाना क्षेत्र की सड़कें भी जर्जर हाे रही हैं।
सीसी राेड की लागत दाेगुनी लेकिन लाइफ चार गुना अधिक

बारिश में हर साल सड़काें काे बचाने के लिए सीसी राेड बनाना ही एकमात्र विकल्प है। इनकी लाइफ भी अधिक हाेती है। अभी तक डामर की सड़कें ही अधिक चलन में थी, धीरे-धीरे सीसी सड़काें की तरफ बढ़ रहे हैं। डामर की सड़क और पानी की दुश्मनी हाेती है। जिस सड़क पर प्राॅपर ड्रेनेज नहीं हुआ, वहां की सड़क एक बारिश भी नहीं झेल पाएगी। सीसी राेड की लागत डामर की सड़काें से लगभग दाेगुनी हाेती है।

परिस्थिति काे देखकर कहीं-कहीं ये ढाई से तीन गुना तक महंगी पड़ जाती है, लेकिन लाइफ चार गुना अधिक हाेती है। डामर की सड़काें की लाइफ अधिकतम 5 साल मानी जाती है, जबकि सीसी राेड की लाइफ 20 साल से ज्यादा हाेती है। इसलिए अब जाे भी नई सड़क बन रही है चाहे ताे हाईवे हाे या एप्राेच राेड सभी सीसी बनाई जा रही हैं।

काेटा में 900 किमी, बूंदी में 1056 किमी, बारां में 1021 किमी तथा झालावाड़ में 1099 किमी सड़काें की मरम्मत कराएंगे। इनमें से 3200 किमी सड़कें ताे अभी गारंटी पीरियड में हैं, जिनकी मरम्मत संबंधित फर्म ही कराएगी। शेष 800 किलाेमीटर सड़काें काे पीडब्ल्यूडी ठीक करेगी। 11 नवंबर तक की डैडलाइन तय की गई है।
एसके बैरवा, एडिशनल चीफ इंजीनियर पीडब्ल्यूडी



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झालावाड़ में भालता से बकानी तक ऐसी हो चुकी है सड़क