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सोमवार, 7 सितंबर 2020

अभी भुगतना ही होगा, क्योंकि दुबारा बनाने का बजट नहीं, डामर सड़क की गारंटी के 3 साल बाद विभाग गड्‌ढों पर ‘कारी’ कर छिपाते हैं अपनी कंगाली

शहर की अधिकांश डामर सड़कें अवधि पार होने से ‘डेड’ हो गई हैं। विभाग इनकाे दुबारा से बनाना भी चाहता है, लेकिन बजट नहीं होने से लंबे समय से पेचवर्क से काम चला रहा है। बारिश में इन सड़कों की दुर्गति हो जाती है। ड्रेनेज के अभाव में पानी भराव के चलते निकलने वाले भारी वाहनों के कारण ये सड़कें गड्‌ढों में तब्दील होती जाती हैं और जिम्मेदार विभाग पेचवर्क के लिए मानसून खत्म होने का इंतजार करते रहते हैं, वहीं लोग इन गड्‌ढों में गिरकर चोटिल होते रहते हैं। तब तक ये सभी विभाग सड़कों पर गड्‌ढों में मिट्‌टी व गिट्‌टी डालकर पाटने का काम करते रहते हैं।

एग्रीमेंट में भी डामर सड़क की गारंटी तीन साल की होती है, लेकिन इसके बाद विभाग गड्‌ढों पर डामर की ‘कारी’ का जुगाड़ कर अपनी कंगाली को छिपाते रहते हैं। यही कारण है कि हमारे शहर की अधिकांश सड़कें अवधि पार होने के बावजूद ‘रामभरोसे’ छोड़ दी जाती हैं। सड़कों के एक्सपर्ट की मानें तो अवधि पार सड़कों का रिनिवल जरूरी होता है।

ऐसा नहीं होने पर सड़कें पानी के कारण जल्द टूटती तो हैं, लेकिन पकड़ (ग्रिप) खत्म होने से कई बार हादसे भी होते हैं। जेडीए के डायरेक्टर इंजीनियरिंग एलआर विश्नोई ने बताया कि पाल रोड की मरम्मत के लिए टेंडर कार्रवाई पूरी हो गई है, संबंधित फर्म 15 सितंबर के बाद इसकी मरम्मत का काम शुरू कर देगी। चौपासनी रोड पर मरम्मत का काम चल रहा है।

ओलंपिक रोड से रेलवे स्टेशन रोड

विभाग एनएच (नेशनल हाइवे)

कब बनी: 2-3 साल पहले
समस्या क्या: सीवरेज लाइन बिछाने के बाद दुबारा मरम्मत नहीं
वर्तमान समस्या
अमृत के तहत निगम ने एनएच की इजाजत से यहां सीवरेज लाइन बिछाने का काम किया। काम पूरा हो गया, लेकिन सड़क की मरम्मत नहीं होने से बारिश के दौरान सड़क पर बड़े गड्‌ढे हो गए।

आखिर निदान क्या
एनएच को निगम पर दबाव बनाकर टूटी सड़क की मरम्मत करवानी चाहिए, निगम नहीं बनाता है तो संबंधित फर्म के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाना चाहिए।

सांगरिया से सालावास फांटा
विभाग
सार्वजनिक निर्माण विभाग

कब बनी: 7 साल पहले
समस्या क्या: ड्रेनेज नहीं होना

वर्तमान समस्या
बारिश के दौरान सड़क का अधिकांश हिस्सा गड्‌ढों में तब्दील हो चुका है। गड्‌ढों में पानी भरा होने के कारण हादसे भी हो रहे हैं, लेकिन रीको सड़क का सुधारने का काम नहीं कर पा रहा है।

पाल रोड
विभाग जेडीए (पहले एनएच के अधीन थी)

कब बनी: 10 साल पहले

समस्या: आरएसआरडीएस का नाला मिट्‌टी से भरा होने से समस्या

वर्तमान हालात: 200 फीट चौड़ी सड़क सिकुड़कर 60-70 फीट हुई। दोनों तरफ लोग काबिज, आरएसआरडीसी का नाला मिट्‌टी से अटा है जिससे पानी सड़कों पर ही बहता है। निदान क्या बरसाती नाले को भैरव नाले के साथ जोजरी से जोड़ दिया जाए तो पानी भराव नहीं होगा।

बनाड़ रोड

विभाग एनएच (नेशनल हाइवे)

कब बनी: डेढ़ साल पहले

समस्या: आरटीओ नाले का जोजरी से नहीं जुड़ा होना

वर्तमान हालात

गणेश होटल के समीप से बारिश में 2-3 फीट पानी सड़कों पर भरा रहता है। बनाड़ तक कई जगहों पर सड़क तालाब बन जाती है। सीसी सड़क से काफी निजात मिली। निदान क्या आरटीओ फाटक से रेलवे लाइन के साथ बरसाती नाले को जोजरी से जोड़ा जाए।

हमारी सरकारी एजेंसियों की अनदेखी का उदाहरण
डीआरएम ऑफिस के बाहर हर बारिश में सड़क टूटती है। 150 मीटर डामर की सड़क का यह भाग मामूली बारिश में बिखर जाता है और मानसून गुजरने तक यह गड्‌ढों में तब्दील हो जाता है। इतना ही नहीं, बारिश के दौरान ड्रेनेज नहीं होने से बारिश का पानी डीआरएम ऑफिस के पिछले गेट और डीआरएम बंगले तक में घुस जाता है। यह समस्या 15-20 साल से यूं ही चली आ रही है। डीआरएम ऑफिस के समीप अंडरब्रिज बना, लेकिन हमारे शहर के सिविल विंग के अफसरों को 150 मीटर सड़क का ड्रेनेज याद नहीं आया।



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शहर की अधिकांश डामर सड़कें अवधि पार होने से ‘डेड’ हो गई हैं