नाबालिगों के अपहरण और तस्करी के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इनमें भी 70 फीसदी मामले बेटियों से जुड़े हैं। पुलिस 96 फीसदी मामलों में बच्चों को बरामद ताे कर लेती है लेकिन आरोपियों तक नहीं पहुंच पाती। यही वजह है कि 2015 की तुलना 2019 में औसतन मामले तीन गुना बढ़ गए। पांच साल में प्रदेशभर में नाबालिगों के अपहरण, तस्करी व गुमशुदगी के 14,822 मामले सामने आए।
इनमें 3837 लड़कों और 10,409 बेटियों को बरामद किया गया। पांच साल में महज 9 गिरोह पर कार्रवाई करते हुए 1765 लोगों को गिरफ्तार किया गया। ज्यादातर मामलों में आरोपियों की धरकपड़ नहीं होने के कारण हर साल अपहरण व तस्करी के मामले बढ़ते जा रहे हैं।
दैनिक भास्कर ने विधानसभा में रखे गए बच्चों के अपहरण, तस्करी व गुमशुदमी से जुड़े आंकड़ों का विश्लेषण किया। शिक्षा में प्रदेश में पहले पायदान पर रहने वाला कोटा जिला इन मामलों में प्रदेश में दूसरे नंबर पर है। कोटा की साक्षरता दर प्रदेश में सबसे ज्यादा 76.56 फीसदी है। वहीं 2019 में बच्चों के अपहरण, तस्करी व गुमशुदगी 344 मामले सामने आए। जबकि 322 बच्चों को बरामद किया गया। लेकिन एक भी आरोपी की गिरफ्तारी या सजा नहीं हुई।
इससे भी गंभीर तस्वीर यह है कि प्रदेश के जयपुर, जोधपुर, सीकर सहित 18 जिलों में पांच साल में एक भी व्यक्ति को इन मामलों में गिरफ्तार नहीं किया गया। जबकि यहां बच्चों के अपहरण के कई मामले दर्ज हुए। बड़ा सवाल यह है कि साल 2019 में महज दो जिले में दो गिरोह पकड़े गए। उदयपुर में एक गिरोह पकड़ा तथा 19 लोगों को गिरफ्तार किया गया।
वहीं जयपुर उत्तर में एक गिरोह पर कार्रवाई करते हुए तीन लोगों को पकड़ा गया। यहां सालभर में 80 लड़कियों और 40 लड़कों को बरामद किया गया था। पुलिस द्वारा बच्चों को बरामद करने की कार्रवाई इन मामलों को साबित कर रही है।
18 जिलों में कई वारदातें हुई, लेकिन पुलिस एक भी आरोपी या गिरोह तक नहीं पहुंच पाई
अजमेर, टोंक, जयपुर पूर्वी, जयपुर ग्रामीण, सीकर, दौसा, बीकानेर, हनुमानगढ़, सवाई माधेपुर, करौली, जोधपुर पूर्वी, जोधपुर पश्चिमी, जोधपुर ग्रामीण, जालौर, बाड़मेर, सिरोही, कोटा ग्रामीण, झालावाड़, बांरा, बासवाड़ा, डुगरपुर, राजसमंद, प्रतापगढ़, अजमेर व जोधपुर जीआरपी द्वारा एक भी व्यक्ति या गिरोह पर कार्रवाई नहीं की गई। कार्रवाई नहीं होने से अपराधियों के हौसले बुलंद हो रहे हैं।
टोंक, दौसा, हनुमानगढ़ में 99 फीसदी बच्चे बरामद, गिरफ्तारी एक भी नहीं : टोंक में 2019 में 35 बच्चों में से 34 बरामद कर लिए गए। लेकिन गिरफ्तारी एक भी नहीं हुई। यहां अपहरण, तस्करी से जुड़े अपराध में पिछले साल से चार गुना बढ़ोतरी हुई। 2018 में 9 मामले आए थे। दौसा में मामले 44 से बढ़कर 94 पहुंच गए। जबकि लंबित मामले सहित 98 बच्चे बरामद किए गए। हनुमानगढ़ में 45 से बढ़कर 103 मामले हो गए।
आरोपियों की धरपकड़ में पांच साल से फेल हो रही है सीकर पुलिस : पांच साल में जहां सीकर जिले में अपहरण व तस्करी के एक भी मामले में आराेपी की गिरफ्तारी नहीं हुई। न किसी गिरोह का खुलासा किया गया। जबकि चूरू में पांच साल में 69 लोगों को पकड़ा जा चुका है। वहीं झुूंझुनूं में 241 लोगों को गिरफ्तार किया गया। श्रीगंगानगर में 222 तो भीलवाड़ा में 405 लोगों को पकड़ा गया।
साक्षरता ज्यादा तो अपराध भी
जिला साक्षरता दर मामले
कोटा 76.56 344
जयपुर 75.51 452
झुंझुनूं 74.13 111
सीकर 71.91 162
(नोट : 2019 में बच्चों के अपहरण, तस्करी व गुमशुदगी के मामले)
बढ़ रहे हैं बेटियों से जुड़े मामले
जिला लड़के लड़की
अजमेर 51 208
भीलवाड़ा 29 206
गंगानगर 16 113
कोटा ग्रामीण 10 102
प्रतापगढ़ 03 47
(2019 में पुलिस द्वारा बरामद बच्चे)
सीकर जिले में पिछले 5 साल में बेटियों से जुड़े मामलों में बढ़ोतरी
2015
49
2016
79
2017
79
2018
91
2019
94
(इन्हें पुलिस द्वारा बरामद किया गया।)
एजुकेशन हब बन रहे जिलों में बढ़ रहे हैं बच्चों से जुड़े अपराध
1. सीकर में बेटियों के मामले तीन गुना ज्यादा : एजुकेशन के तौर पर प्रदेशभर में पहचान बनाने वाले सीकर में अपराध बढ़ने लगा है। 2015 में 86, 2016 में 114, 2017 में 133, 2018 में 133, 2019 में 162 मामले बच्चों के अपहरण व गुमशुदगी के सामने आए। इनमें हर साल बेटियों की संख्या बेटों की तुलना दो गुना या इससे ज्यादा रही।
2. एजुकेशन हब कोटा अपराधों में टॉप टू में : बच्चों के अपहरण व गुमशुदगी के मामलों में कोटा जिला दूसरे नंबर पर है। यहां 2019 में 344 मामले सामने आए। इनमें 80 लड़के और 242 लड़कियों को बरामद किया गया। कोटा ग्रामीण में 123 व शहर में 221 मामले हैं। दोनों इलाकों में सालभर में एक भी व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया गया।
3. कमजोर होती गई भीलवाड़ा पुलिस की पकड़ : भीलवाड़ा में अपहरण व तस्करी के मामले बढ़ते गए। लेकिन धरपकड़ कमजोर होती गई। 2017 में 172 सामने आए। 84 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 2018 में 192 मामले आए। 80 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 2019 में 266 मामले आए। जबकि 76 लोगों को ही पकड़ा जा सका।
आईजी बोले- ऐसा हो ही नहीं सकता
आईजी एस सेंगाथिर के अनुसार बच्चाें के अपहरण और उनकी तस्करी से जुडे़ मामलाें में पुलिस गंभीरता बरतती है। ऐसा संभव नहीं है कि इतने लंबे समय बाद भी आराेपियाें की गिरफ्तारी नहीं हाे पाई। विधानसभा में पेश आंकड़ाें का अध्ययन करने के बाद ही स्थिति साफ की जा सकती है।
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