आईआईटी कानपुर के सेंटर सी गंगा और एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज के बीच शनिवार को एक महत्वपूर्ण एमओयू हुआ। इस समझौते के बाद एमबीएम आईआईटी के केंद्र सी गंगा यानी सेंटर फॉर गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट एंड स्टडीज के साथ मिलकर काम करेगा।
सी गंगा के संस्थापना प्रमुख एवं प्राध्यापक डॉ. विनोद तारे ने बताया कि यह सेंटर देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित प्रमुख तकनीकी संस्थानों के साथ एमओयू कर रहा है। इसके माध्यम से देश के विभिन्न हिस्सों में जल व जलस्रोतों से संबंधित समस्याओं के निराकरण के लिए शोध एवं विषय विशेषज्ञों से चर्चा द्वारा उचित समाधान सुझाए जाएंगे। इसी क्रम में सी गंगा की टीम कुछ महत्वपूर्ण इम्पैक्ट प्रोजेक्ट्स पर कार्य कर रही है। एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज, सी गंगा का प्रथम ऐसा सहयोगी होगा, जो राज्य स्तरीय संस्थान है व बाकी सभी सहयोगी देश के विभिन्न क्षेत्रों के आईआईटी हैं। जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. पीसी त्रिवेदी व अभियांत्रिकी संकाय के अधिष्ठाता प्रो. श्रीकांत ओझा के कई महीनों के प्रयासों से इस केंद्र की स्थापना हुई।
जल समस्याओं के समाधान के लिए विजन डाॅक्यूमेंट तैयार
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत के निर्देश पर गत वर्ष लगभग इसी समय डॉ. तारे व उनके सहयोगी सदस्य डॉ. सुरेश गुर्जर ने जोधपुर के विभिन्न सरकारी विभागों से चर्चा की व डाटा एकत्रित करवाया। इसके फलीभूत जोजरी व लूणी नदी को केंद्र में रखते हुए जोधपुर की जल समस्याओं के समाधान के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट तैयार किया गया है। सी गंगा की अगुवाई में इस पत्र को तैयार करने में अन्य स्थानीय सरकारी संस्थानों के अतिरिक्त महेश शर्मा एवं सिविल इंजीनियरिंग विभाग के नवनियुक्त विभागाध्यक्ष डॉ. एसके सिंह ने भी सहयोग किया।
सी गंगा का दल जोजरी नदी का करेगा सर्वे
डॉ. तारे के निर्देश पर सी गंगा के डॉ. सुरेश गुर्जर व उनका सहयोगी दल इस वर्ष नवंबर माह में जोजरी नदी के भौतिक स्वरूप का सर्वे करने आएगा। इस दौरान नदी से पानी के नमूने संकलित करने के अतिरिक्त नदी की चौड़ाई एवं फ्लड प्लेन (बाढ़ क्षेत्र) का आकलन किया जाएगा।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today