जोधपुर शहर में हैंडीक्राफ्ट का एक्सपोर्ट लगातार बढ़ रहा है। पिछले पांच साल में यहां के एक्सपोर्टर्स व मैन्युफैक्चरर की संख्या दुगनी हो गई हैं। यहां से निर्यात होने वाले हैंडीक्राफ्ट में 60 प्रतिशत हैंडीक्राफ्ट लकड़ी के उत्पादों का होता है, लेकिन लकड़ी काटने के लिए उपयोग ली जाने वाली शहर की सभी आरा मशीनें लाइसेंस के अभाव में अवैध हो चुकी हैं। पिछले 7 साल से नए लाइसेंस तो मिल नहीं रहे हैं और दूसरी ओर पुरानी लाइसेंसशुदा मशीनों के लाइसेंस नवीनीकरण की प्रक्रिया की फाइलें भी वन अधिकारी के कार्यालय में अटकीं हुई हैं।
राज्य सरकार की ओर से 5 वर्षों के लिए आरा मशीन का लाइसेंस दिया जाता है। यहां की 100 प्रतिशत इकाइयों के लाइसेंस की अवधि समाप्त हो चुकी हैं। जोधपुर के हैंडीक्राफ्ट निर्यातकों द्वारा लाइसेंस नवीनीकरण के लिए जिला वन अधिकारी कार्यालय में फीस व दस्तावेज जमा करवाए जा चुके हैं, लेकिन लाइसेंस रिन्यू अभी तक नहीं किए गए हैं। एक्सपोर्टर्स व मैन्युफैक्चरर विभाग के लगातार चक्कर काट रहे हैं, लेकिन प्रक्रिया पूर्ण नहीं हो रही हैं।
ऐसे में राज्य के करीब 5000 हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स व आर्टिजंस की आरा मशीनों का नवीनीकरण व नए लाइसेंस का काम अटका हुआ है। वहीं दूसरी ओर जोधपुर में नए हैंडीक्राफ्ट निर्यातकों व मैन्युफैक्चरर की संख्या दुगनी हो गई है। जोधपुर हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2013 में करीब 300 निर्यातक थे, वे अब 700 हो चुके हैं और मैन्युफैक्चरर्स की संख्या भी 2 हजार से बढ़कर 4 हजार हो चुकी हैं।
2013 के बाद न तो लाइसेंस रिन्यू हुआ और न ही नया दिया
लकड़ी आधारित हैंडीक्राफ्ट क्षेत्र में 24 इंच तक की आरा मशीन का लकड़ी काटने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इस संबंध में वर्ष 2005 में आरा मशीन के हैंडीक्राफ्ट उद्योग में उपयोग पर से बैन हटाया गया था। वन विभाग की गाइडलाइन के अनुसार 5 वर्ष की अवधि के लिए 24 इंच तक की आरा मशीन का लाइसेंस भी उसी को दिया जा सकता है जो वन विभाग की अधिकृत सूची में शामिल औद्योगिक संगठन के सदस्य हैं। वर्ष 2013 तक तो अधिकृत औद्योगिक संगठनों के सदस्यों को आरा मशीन के लाइसेंस दिए गए थे, लेकिन इसके बाद नया लाइसेंस भी नहीं दिया गया और न ही पुराने लाइसेंसों का नवीनीकरण हुआ।
आरा मशीन के लाइसेंस बहुत जरूरी
नवीनीकरण नहीं होने की वजह से काफी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। शीशम के प्रॉडक्ट निर्यात करने के लिए साइटस एनओसी के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स में आरा मशीन का लाइसेंस भी शामिल हैं। इसका लाइसेंस उपलब्ध नहीं होने पर राज्य के बाहर के हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर व टिंबर मर्चेंट के लाइसेंस प्रस्तुत करने पड़ रहे हैं। वहीं विदेशी बॉयर्स व बाइंग हाउस निर्यातकों को बड़ा ऑर्डर देने से पहले सोशल ऑडिट करवाती है, उसके भी इसकी कमी रह जाती है।
-डॉ. भरत दिनेश, अध्यक्ष, जोधपुर हैंडीक्राफ्ट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन
राज्य सरकार से मार्गदर्शन मांगा है
जोधपुर के हैंडीक्राफ्ट उद्योगों में उपयोग आने वाली 24 इंच की आरा मशीन के नए लाइसेंस व लाइसेंस के नवीनीकरण से जुड़े प्रकरण काफी प्रतिक्षा में है। इन प्रकरणों के निस्तारण के लिए विभाग की ओर से राज्य सरकार का मार्गदर्शन मांगा गया है। सरकार की ओर से मार्ग दर्शन मिलने के बाद ही कोई निर्णय हो सकेगा।
-विकास अरोड़ा, एसीएफ वन विभाग
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