
नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के छात्र विक्रांत की तीन साल पहले हुई मौत की गुत्थी सुलझाने के लिए बुधवार को शाम चार बजे मौका-ए-वारदात पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित एसआईटी ने क्राइम सीन को रीक्रिएट किया। इसके लिए छात्र के कद और वजन के बराबर चार पुतले अलग-अलग एंगल से रेल की पटरी के पास खड़े किए और करीब 90 किलोमीटर की रफ्तार से रेल इंजन को पटरी पर दौड़ाया गया। इंजन पहले पुतले को अपने साथ ले गया और चिथड़े उड़ा दिए।
दूसरा पटरी के पास खड़ा किया। इंजन गुजरा तो हवा के दबाव ने उसे वहीं गिरा दिया। तीसरा पुतला ऐसे खड़ा किया जैसे स्टूडेंट पटरी पार करने की कोशिश में हो और ट्रेन आ गई हो। यह पुतला इंजन की चपेट में आने से थोड़ी दूर सिर के बल वहीं गिरा जहां शव मिला था। चौथे और पांचवें ट्रायल में पुतला फिर उसी परिस्थिति में गिरा जो तीसरे पुतले की थी। यह हत्या, आत्महत्या या हादसा है? यह माथापच्ची पुलिस के साथ फोरेंसिक सांइस लेब्रोरिटी, आईआईटी, एम्स, निफ्ट, एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज और जेएनवीयू के एक्सपर्ट कर रहे हैं क्योंकि इन सबकी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश की जानी है।
एसआईटी दो माह में रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश करेगी। पहले हुई मीटिंग पुलिय उपायुक्त धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि मौके पर आने से पहले सभी विशेषज्ञों को ब्रीफिंग दी गई थी जिसमें घटना का पूरा ब्यौरा देने के साथ अब तक हुई कार्रवाई से अवगत कराया गया।
परिजनों के शक की यह दो वजह
1 परिजनों को कॉलेज से निकलते और लौटने की एंट्री में गड़बड़ी दिखी। यह गड़बड़ी उसके साथ गए छात्रों की एंट्री में थी। इन छात्रों पर संदेह जताया जा रहा था।
2 घटना स्थल से 500 मीटर दूरी फोरेंसिक सांइस लेब्रोरिटी है, फिर भी 2017 में मौका-ए-वारदात पर पुलिस ने बुलाया ही नहीं था।
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पहला पुतला: पुतले को सपोर्ट के साथ खड़ा किया। पुतला इंजन की स्पीड के साथ ही फैल गया। टीम ने उस फैले हुए पुतले की भी पूरी जांच की।
दूसरा पुतला: इंजन के प्रेशर और हवा से पुतला मुंह के बल गिरा। दोनों बार पुतले का मुंह ट्रेन आने वाली तरफ ही रखा गया। दोनों बार ट्रेन आईआईटी से मंडोर स्टेशन की ओर आई।
तीसरा पुतला: पुतले का मुंह एनएलयू के सामने की ओर रखा गया। ट्रेन आईआईटी से मंडोर स्टेशन की तरफ आई लेकिन पुतला इंजन से हल्का टकराया और सिर के बल पटरी के पास गिरा।
चौथा पुतला; पुतले का मुंह एनएलयू की ओर रखा। इस बार इंजन मंडोर स्टेशन की ओर से स्पीड से आया और पुतला पूरी तरह बिखर गया।
पांचवां पुतला: पुतला ट्रैक के पास खड़ा किया। इंजन आईआईटी की ओर से मंडोर स्टेशन की तरफ आया। पुतले का स्थान और उसका एंगल भी थोड़ा टेढ़ा रखा गया। पुतला एक बार फिर सिर के बल गिरा।
यूनिवर्सिटी ने बताई थी आत्महत्या
एनएलयू छात्र विक्रांत का शव 14 अगस्त 2017 को मंडोर रेलवे स्टेशन की पटरी के पास मिला था। विवि ने जांच के प्रयास करने की बजाय इसे आत्महत्या घोषित कर दिया। विक्रांत के पिता जयंत कुमार ने मृत्यु के कारणों की जांच के लिए प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करने के कई प्रयास किए, लेकिन पुलिस ने कार्यवाही नहीं की। जून 2018 में सीआईडी सीबी ने एफआईआर दर्ज की, लेकिन अनुसंधान में कोई प्रगति नहीं हुई, जिसे हाईकोर्ट के संज्ञान में लाया गया। हाईकोर्ट ने 24 फरवरी 2019 को आवश्यक दिशा-निर्देश देते हुए याचिका निस्तारित कर दी।
मामले को सीबीआई जांच के आदेश की मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट में पेश करने पर सितंबर में राज्य सरकार से जवाब-तलब किया गया। संदिग्ध परिस्थितियों में मौत को लेकर पुलिस, सीबी सीआईटी तक जांच की गई, लेकिन विक्रांत के पिता कर्नल जयंत कुमार (रिटायर्ड) संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से स्पेशल टीम बना जांच की अपील की। कोर्ट ने स्पेशल टीम बनाई, जिसमें टेक्सटाइल, फिजिक्स, एम्स, पुलिस, एफएसएल सहित इंजीनियरिंग कॉलेज के शिक्षक को शामिल किया गया।
एक्सपर्ट टीम में ये थे शामिल : एफएसएल जयपुर के कार्यवाहक निदेशक अजय शर्मा के नेतृत्व में उपनिदेशक डॉ. राजेश सिंह (घटनास्थल) व (भौतिक सहायक) निदेशक डॉ. मुकेश शर्मा, प्रभारी मोबाइल फोरेंसिक यूनिट जोधपुर, आरएफएसएल जोधपुर के सहायक रामस्वरूप, आईआईटी जोधपुर के भौतिक विज्ञान के सहायक प्रो. डॉ. वी नारायणन और सहायक प्रो. डॉ. अंबेश दीक्षित, एम्स के फोरेंसिक मेडिसिन टॉक्सीकोलॉजी विभाग के अपर आचार्य डॉ. तनुज कंचन, सहायक आचार्य डाॅ. आरएस शेखावत, सहायक आचार्य डाॅ. विकास पी. महेशराम, एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रो. डॉ. अरविंद वर्मा, प्रो. पीएम मीणा और जेएनवीयू के भौतिक विज्ञान विभाग के प्रो. सतीश कुमार शर्मा व सहायक प्रो. समय कुमार शर्मा, निफ्ट के सहायक प्रो. जन्मय सिंह हाडा और डॉ. चेतराम मीणा, वरिष्ठ मंडल यांत्रिकी अभियंता डीआरएम अरुण कुमार, ट्रैक डीआरएम अधिशासी अभियंता राजू माथुर व डीआरएस कार्यालय के सहायक सुरक्षा आयुक्त ईश्वर सिंह यादव शामिल थे।
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