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सोमवार, 9 नवंबर 2020

2 साल में पुलिस टीम पर 611 बार हुए हमले, जयपुर पहले नंबर पर

प्रदेश में आम लाेगाें की रक्षा करने वाली पुलिस काे खुद ही सुरक्षा की जरूरत है। प्रदेश में पुलिसकर्मियाें के लिए पिछले 2 साल बेहद खराब रहे हैं। इस दाैरान प्रदेश के अधिकांश जिलाें में पुलिस पर हमले की घटनाएं हुईं। हालांकि अच्छी बात ये रही कि इन हमलाें में किसी पुलिसकर्मी की जान नहीं गई।


वर्ष 2019 में पुलिस पर 339 बार हमले हुए। 2020 के शुरुआती 7 महीनाें में पुलिसकर्मियाें पर 272 बार हमले हुए। ये आंकड़े पुलिस महकमे ने एक सवाल के जवाब में जारी किए हैं। इन आंकड़ों से साफ है कि प्रदेश में रोज कहीं न कहीं पुलिस पर हमले की घटनाएं हो रही हैं। 2019 और 2020 के 579 दिनों कुल 611 हमले हुए हैं।

पिछले साल ज्यादातर हमले जनआंदोलनों के दौरान कानून व्यवस्था बनाने के दौरान किए गए हैं। इस साल कोरोनाकाल में मास्क न लगाने और सरेराह थूकने से मना करने जैसे मामलों को लेकर पुलिसकर्मियों पर हमले हुए। वर्ष 2019 व 2020 में हमले की सबसे अधिक 116 घटनाएं जयपुर और दूसरे नंबर पर 105 घटनाएं भरतपुर रेंज में हुई।

कोटा रेंज इस लिस्ट में छठे नंबर पर है। हलाांकि कोटा ग्रामीण में इस तरह की एक भी वारदात दर्ज नहीं हुई। कोटा शहर में 21, बूंदी में 21, झालावाड़ में 10 और बारां में पुलिस पर हमले के 3 मामले दर्ज हुए। वहीं 31 मामलों के साथ जोधपुर आयुक्तालय इस सूची में सबसे नीचे है। 2020 में 9 जिले ऐसे रहे जहां पुलिस के ऊपर 10 से ज्यादा बार हमले हुए। इसमें भी 25 मामलों के साथ जयपुर सबसे आगे है। 16 मामलों के साथ अजमेर दूारे नंबर पर है।

भास्कर एनालिसिस : 2020 में इन 9 जिलों में 10 बार से अधिक पिटी पुलिस

गृह विभाग के अनुसार वर्ष 2020 में जुलाई तक पुलिस पर हमले की 227 वारदातें हुई। इनमें 12 जिलों में सबसे अधिक मामले सामने आए। पुलिस कमिश्नरेट सहित जयपुर जिले में जहां पुलिस पर 25 बार हमले हुए। वहीं, सीकर में पुलिस पर हमलों की 22 घटनाएं दर्ज हुईं। इसी तरह अजमेर में 16, जयपुर पूर्व में 10, भरतपुर में 18, करौली में 10, धौलपुर में 15, बांसवाड़ा में 11 बार पुलिस पर हमला हुआ।

दो साल में इन 8 जिलों में एक भी हमला नहीं हुआ

प्रदेश में वर्ष 2019 में नागौर, कोटा ग्रामीण, जालोर, बांसवाड़ा, प्रतापगढ़ ऐसे 5 जिले थे, जहां पुलिस सुरक्षित रही। यानी इन जिलों में पुलिस पर हमले की एक भी वारदात दर्ज नहीं की गई। वहीं, वर्ष 2020 में यह जिले घटकर तीन रह गए, तीन जिलों बीकानेर, कोटा ग्रामीण, पाली में एक भी घटना नहीं हुई है।

प्रदेश पुलिस पर हुए हमले के 4 चर्चित केस

अलवर : फायरिंग करके हिस्ट्रीशीटर को छुड़ा ले गए

अलवर के बहरोड़ थाने पर हमला करके करीब एक वर्ष पहले हरियाणा के मोस्ट वांटेड बदमाश विक्रम उर्फ पपला को उसके 15-20 साथी थाने से छुड़ा ले गए। बदमाश तीन गाड़ियों में एके-47 सहित अन्य हथियार लहराते हुए थाने में घुसे और 50 राउंड फायर किए। थाने में एसएचओ सुगन सिंह सहित 11 पुलिसकर्मी मौजूद थे। पपला हरियाणा के महेंद्रगढ़ का मोस्ट वांटेड बदमाश है। इससे पहले महेंद्रगढ़ पुलिस 8 सितंबर 2017 को पेशी के लिए उसे कोर्ट ला रही थी तो उसके साथी फायरिंग कर उसे भगा ले गए थे। हमले में 4 पुलिसकर्मियों को गोली लगी थी। तबसे वह फरार था। पपला पर कई संगीन धाराओं में केस दर्ज हैं।

टोंक : लॉकडाउन के दौरान पुलिस टीम पर हमला

शहर के कोतवाली इलाके में अप्रैल 2020 को पुलिस पर हमला किया गया। पुलिस इस क्षेत्र में लॉकडाउन के दौरान कर्फ्यू का उल्लंघन करने वाले लोगों को घरों में रहने के लिए समझाइश कर रही थी। इसी दौरान वहां आए दर्जनों लोगों ने पुलिस पर हमला बोल दिया। हमले में तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए।

डूंगरपुर : आंदोलन में 20 से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल
डूंगरपुर जिले से होकर निकलने वाले उदयपुर-अहमदाबाद नेशनल हाइवे पर शिक्षक भर्ती को लेकर हुए आंदोलन में कांकरी डूंगरी के पास एक माह पहले पुलिस की गाड़ियों सहित करीब 50 वाहन फूंके गए। करीब 20 पुलिसकर्मी घायल हुए। करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टी आग के हवाले की गई। कई दिन तक पूरे इलाके में आंदोलनकारियों का कब्जा रहा। इसके अलावा उदयपुर और भीलवाड़ा में भी कई दिन तक हाइवे पर उपद्रवियों का कब्जा रहा। पुलिस प्रशासन इनके सामने लाचार बना रहा। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने कई पेट्रोल पंप और वाहनों के अलावा सरकारी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया।

जयपुर : नाकाबंदी पर टोका तो हमला किया

गांधी नगर थाना इलाके में अगस्त 2020 में रॉयल्टी चौराहे पर नाकाबंदी कर रहे 4 पुलिसकर्मियों ने अनावश्यक घूम रहे युवकों को टोका तो 30 से अधिक लोगों ने पुलिसकर्मियों पर हमला करके उन्हें बुरी तरह पीटा। इससे एएसआई समेत 4 पुलिसकर्मी घायल हो गए।



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प्रतीकात्मक तस्वीर