शहर की सड़काें काे पशुओं से मुक्त करने तथा गंदगी के बीच अतिक्रमण कर पशुपाल रहे लाेगाें काे पुनर्वास करने के लिए बनाई देवनारायण याेजना में अभी तक केवल 250 ही आवेदन आए हैं। जबकि, शहर में करीब 1200 पशुपालक ऐसे हैं।
जिनके लिए इस याेजना में मकान और बाड़े बनाए हैं। तीन बार आवेदन की तारीख बढ़ाने के बाद भी पशुपालक इसमें रूचि नहीं दिखा रहे। यूआईटी का कहना है कि जाे लाेग याेजना में शामिल हाेंगे उन्हें यहां से हटाकर पुनर्वास किया जाएगा। जाे शामिल नहीं हाेंगे उन्हें भी हटाया जाएगा। शहर में पशुपालक व्यवसाय पूरी तरह से बंद किया जाएगा।
शहर में हाेने वाली दुर्घटनाओँ में सड़काें पर विचरण करते पशु भी मुख्य कारण है। लंबे समय से शहर काे इनसे निजात दिलाने की मांग उठती रही है। इसी काे देखते हुए यूआईटी ने शहर में पशुपालक व्यवसाय बंद कर सभी काे लखावा में बसाने के लिए देवनारायण याेजना तैयार की।
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