एक तरफ पूरे देश में स्वच्छ भारत मिशन अभियान चल रहा है, खुले में शाैच काे खत्म करने के लिए कराेड़ाें रुपए खर्च किए जा रहे हैं। वहीं राजस्थान के नगर निकाय इसके प्रति संवेदनशील नहीं हैं। प्रदेश के साताें संभाग के 120 में से 106 नगर निगमाें, नगर परिषदाें व नगरपालिकाओं में आधुनिक टाॅयलेट बनाने के लिए सरकार ने रूडसिकाे से लाेन लेकर हुडकाे के माध्यम से 66.97 कराेड़ रुपए स्वीकृत किए थे।
सीएम अशाेक गहलाेत ने अपनी 100 दिवसीय कार्ययाेजना में भी इस प्राेजेक्ट काे शामिल किया था। इसके बावजूद हालात ये है कि 46 नगर निकायाें ने ताे इस दिशा में 1 रुपए का भी काम नहीं करवाया। बाकी 60 ने भी स्वीकृत बजट का पूरा काम नहीं करवाया। नतीजा ये हुआ कि 39.78 कराेड़ रुपए की राशि लैप्स हाे गई।
जिनके घराें में टाॅयलेट नहीं है या इन्हें बनाने के लिए जगह नहीं है, उनके लिए ये स्कीम शुरू की गई थी। इसके साथ ही बाजाराें में व्यापारियाें व जनता की सुविधा के लिए आधुनिक टाॅयलेट का निर्माण शुरू किया गया था। इसमें महिला-पुरुष के लिए अलग टाॅयलेट, गर्म पानी के लिए गीजर लगे बाथरूम आदि सुविधाएं हाेनी थी।
काेटा सहित कई निकायाें ने इस दिशा में अच्छा काम किया और बजट के अनुरूप 2 से 5 तक आधुनिक टाॅयलेट बनाए। वहीं 46 नगर निकायाें ने ताे इस दिशा में काेई काम ही नहीं किया। वाे इसके लिए अपने कस्बे, शहर में जगह तक तलाश नहीं कर पाए। इस तरह से प्रदेश के साताें संभाग काेटा, अजमेर, भरतपुर, उदयपुर, जयपुर, जाेधपुर व बीकानेर काे दी गई राशि 66.97 कराेड़ रुपए में से 39.78 कराेड़ लैप्स कर दिए गए। केवल 60 नगर निकायाें द्वारा 27.19 कराेड़ रुपए के आधुनिक टायलेट बनवाए गए।
46.69 करोड़ के दूसरे काम भी निरस्त
100 दिवसीय कार्ययाेजना में सरकार ने मुक्तिधाम, कब्रिस्तान व सड़काें काे सुधारने तथा अंबेडकर भवन बनाने के लिए भी साताें संभाग में 57.85 कराेड़ की राशि नगर निकायाें काे स्वीकृत की गई थी। इसमें से 46.69 कराेड़ रुपए की राशि लैप्स हाे गई।
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