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शुक्रवार, 21 मई 2021

16 साल की उम्र में इंग्लैंड की ओर से इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखा. फिर आठ साल के अंदर यानी 24 साल की उम्र तक दो वर्ल्ड कप और एशेज सीरीज जीती.


 16 साल की उम्र में इंग्लैंड की ओर से इंटरनेशनल क्रिकेट में कदम रखा. फिर आठ साल के अंदर यानी 24 साल की उम्र तक दो वर्ल्ड कप और एशेज सीरीज जीती. करियर में इतनी सारी कामयाबी पाने के बाद महज 26 साल की उम्र में संन्यास लेकर चौंका दिया. आगे चलकर कमेंट्री का माइक थामा और झंडे गाड़े. यह सब किया इंग्लैंड की पूर्व क्रिकेटर इशा गुहा (Isha Guha) ने. इशा का आज बर्थडे हैं. 21 मई 1985 को इंग्लैंड के बकिंघमशर में पैदा हुई थी. इशा के माता-पिता मूल रूप से बंगाल के रहने वाले हैं. लेकिन 1970 के दशक में वे इंग्लैंड चले गए थे. उन्होंने इंग्लैंड के लिए आठ टेस्ट, 83 वनडे और 22 टी20 मैच खेले. वह 11 साल तक इंटरनेशनल क्रिकेट खेलीं.उनके नाम 101 वनडे और 29 टेस्ट विकेट रहे. वह इंग्लैंड क्रिकेट टीम में जगह बनाने वाली एशियाई मूल की पहली महिला क्रिकेटर हैं.


इशा ने 16 साल की उम्र में साल 2001 में वीमन्स यूरोपियन चैंपियनशिप के जरिए डेब्यू किया था. वह मीडियम गति की गेंदबाज रहीं. इसके बाद से इशा ने अपनी गेंदबाजी का जादू बिखेरना शुरू कर दिया. उन्होंने साल 2004 में न्यूजीलैंड के खिलाफ 22 रन देकर पांच विकेट लिए और इंग्लैंड को सीरीज जीतने में मदद की. फिर 2006 में भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज में पांच और वनडे में आठ विकेट चटकाए. इसके अगले साल इशा का सबसे यादगार प्रदर्शन देखने को मिला. उन्होंने एशेज सीरीज में 100 रन पर नौ विकेट लिए और इंग्लैंड को ट्रॉफी जीतने में मदद की.

दो वर्ल्ड कप जीते, नंबर वन बॉलर बनीं

इसके बाद वर्ल्ड कप में उनका प्रदर्शन उम्मीदों के हिसाब से नहीं रहा और वह चार विकेट ही ले सकीं लेकिन उनकी टीम चैंपियन बन गई. इससे इशा वर्ल्ड कप विजेता टीम का हिस्सा बनीं. इस दौरान वह आईसीसी रैंकिग में नंबर वन पर भी पहुंच गई. इशा गुहा 2009 में वर्ल्ड टी20 जीतने वाली इंग्लैंड टीम की सदस्य भी थीं. इस तरह महज 24 साल की उम्र में ही उन्होंने महिला क्रिकेट के लगभग सभी बड़े टूर्नामेंट जीत लिए.

क्रिकेट छोड़कर कमेंट्री चुनी

साल 2012 में उन्होंने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया. उस समय उनकी उम्र 26 साल थी. दिलचस्प बात है कि इशा ने उसी दिन संन्यास लिया था जिस दिन राहुल द्रविड़ ने क्रिकेट छोड़ा था. इशा बाद में कमेंटेटर और स्पोर्ट्स प्रजेंटर बन गईं. वह कई इंटरनेशनल टूर्नामेंट के दौरान कमेंट्री बॉक्स का हिस्सा रही हैं. इनमें वर्ल्ड कप, आईपीएल, एशेज सीरीज के साथ ही 2016 के रियो ओलिंपिक भी शामिल हैं.

इशा ने क्रिकेट के साथ ही पढ़ाई-लिखाई पर भी काफी ध्यान दिया. उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से बायोकैमिस्ट्री और मॉलिक्यूलर बायोलॉजी में ग्रेजुएशन किया है. फिर इसी संस्थान से न्यूरोसाइंसेज में एमफिल भी किया है. वह महिला क्रिकेट की मुखर आवाज भी हैं. उन्होंने साल 2010 में ही महिला आईपीएल की जरूरत बताई थी.