चित्तौड़गढ। माननीय राष्ट्रीय एवं राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश
पर 9 सितम्बर 2021 को प्रस्तावित ऑनलाइन व ऑफलाइन राष्ट्रीय लोक अदालत के संबंध में
प्राधिकरण अध्यक्ष जिला एवं सेशन न्यायाधीश केशव कौशिक ने जिले के न्यायिक
अधिकारियों में से मुख्यालय पर नियुक्त अधिकारियों की अवकाशागार में एवं ताल्लुका
मुख्यालयों पर पदस्थापित अधिकारियों की वर्चुअल बैठक ली। बैठक में अध्यक्ष कौशिक ने
समस्त न्यायिक अधिकारियों को प्रकरणों के चिन्हिकरण, पक्षकारों को नोटिस जारी करने,
लोक अदालत की तिथि से पूर्व पक्षकारों को लोक के फायदे बताकर प्रि-काउंसलिंग के
जरिये राजीनामा के माध्यम से प्रकरण को निस्तारित करने के प्रयास करने के निर्देश
दिये। सचिव भानुकुमार ने बताया कि न्यायिक अधिकारी स्वयं ही पक्षकारों के मध्य लोक
अदालत से पूर्व प्रि-काउंसलिंग कर प्रकरण में राजीनामा का प्रयास कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के अतिरिक्त बैंक, बीमा व
टेलीफोन, बिजली, पानी से संबंधित प्रकरणों को प्रि-लिटिगेशन के माध्यम से अधिकाधिक
संख्या में निस्तारित करने के प्रयास किये जा रहे है, इसके लिए विभागीय अधिकारियों
एवं अधिवक्ताओं के साथ कोविड प्रोटोकॉल के तहत बैठके आयोजित की गई है। प्रतिदिन
चिन्हित, प्रि-काउंसलिंग किये गये मामलों एवं नोटिस तामील के कार्यो के लिए न्यायिक
अधिकारियो द्वारा स्वयं ही समीक्षा की जा रही है। जिला अभिभाषक संस्थान अध्यक्ष
सावन श्रीमाली एवं कोषाध्यक्ष नीलेश भट्नागर द्वारा राष्ट्रीय लोक अदालत में सहयोग
करने हेतु सहयोग कमेटी गठित की गई है जिसमें 21 अधिवक्ताओं को नामित किया गया है।
राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए अब तक 6381 प्रकरण चिन्हित 24 न्यायपीठ करेगी राजीनामे
के प्रयास सचिव भानु कुमार ने बताया कि 9 सितम्बर की राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए
न्यायालयों में लंबित 4 हजार 461 प्रकरण चिन्हित किये गये है, इसके अतिरिक्त 1920
प्रि-लिटिगेशन प्रकरण भी सम्मिलित है। इन प्रकरणों के निस्तारण के लिए जिला
मुख्यालय पर 10 न्यायपीठ एवं 10 ताल्लुका मुख्यालय के लिए 14 न्यायपीठ पृथक से गठित
की गई है जो चिन्हित किये गये प्रकरणों में राजीनामे के प्रयास करेगी। सचिव भानु
कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से निस्तारित दीवानी प्रकरणों में
पूर्व में अदा किये गये न्याय-शुल्क की वापसी का प्रावधान है। लोक अदालत के जरिये
निर्णित मुकदमें में अपील वर्जित होने से मुकदमा अंतिम रूप से निर्णित हो जाता है।
अतः समस्त पक्षकारान् एवं अधिवक्तागण् से अपील की जाती है कि आयोजित राष्ट्रीय लोक
अदालत का लाभ उठावें तथा अधिक से अधिक संख्या में प्रकरणों के निस्तारण में सहयोग
प्रदान करें।